ईरान में करीब 230 स्कूलों में 5 हजार छात्राओं को जहर देने की खबर के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। दुनियाभर में इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। इस बीच इस मुद्दे पर सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह अली खामनेई का बयान आया है। खामनेई ने कहा कि देश में लड़कियों के स्कूलों में अगर जानबूझकर जहर दिया गया है तो यह अपराध माफी के काबिल नहीं है। उन्होंने कहा कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।
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ईरान के प्रमुख सांसद और इस घटना पर गठित जांच समिति के सदस्य मोहम्मद हसन असेफरी की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने बताया कि ईरान के 25 प्रांतों में करीब 230 स्कूलों में करीब 5 हजार छात्रों को जहर देने की शिकायत मिली थी। इससे पहले ईरान की मीडिया ने दवा किया था कि एक हजार से ज्यादा बच्चों ने बीमार होने की शिकायत की थी। इनमें से 4 सौ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। हालांकि ईरान के अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक आंकड़ा पेश नहीं किया गया।
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काफी टालमटोल के बाद ईरान के अधिकारियों ने इस घटना को स्वीकार किया था। अधिकारियों की ओर से यह नहीं बताया कि गया कि इस घटना में कौन शामिल था या फिर छात्राओं को किस तरह का जहर दिया गया था। अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि 30 में से 21 प्रांतों में नवंबर के बाद से 50 से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं को जहर देने की घटना सामने आई। कुछ दिन पहले ईरान के आंतरिक मंत्री अहमद वाहीदी ने बताया था कि जांच अधिकारियों ने स्कूलों से संदिग्ध जहर के नमूने लिए थे। मीडिया रिपोट की मानें तो करीब 60 स्कूल इस घटना से प्रभावित हुए। इनमें लड़कों का भी एक स्कूल शामिल था।
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ईरान में इस घटना के बाद से बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को हजारों शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग के साथ वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
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