इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है। जंग में अब तक 21 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। मृतकों में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। हर दिन इजरायली बमबारी में दर्जनों फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसे में दुनिया के पटल पर जंग को रोकने कोशिशें की जा रही हैं। इस बीच दक्षिण अफ्रीका ने बड़ा कदम उठाया है। दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिलिस्तीनियों के नरसंहार का मामला दायर किया है और कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
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दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केस दायर कर कहा कि गाजा में फिलिस्तीनियों का नरसंहार हो रहा है। उसने जंग को तुरंत रोकने और इजरायल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दर्ज मामले में दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई का चरित्र नरसंहारक हैं। उसकी सेना फिलस्तीन को राष्ट्र और नस्ल के रूप में खत्म करने के इरादे से कार्रवाई कर रही है। ऐसे में न्यायालय की ओर से इजरायल को गाजा में अपने सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित करने के लिए अंतरिम आदेश जारी करना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका ने आगे कहा कि गाजा में इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानूनों की भी धज्जियां उड़ा रहा है और ताबड़तोड़ हमले कर रहा है। ऐसे में फिलस्तीन के नागरिकों की रक्षा जरूरी है। इसके लिए तुरंत उपाय किए जाने की जरूरत है।
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अंतरराष्ट्रीय अदालत में दायर दक्षिण अफ्रीका के आरोपों पर इजरायल ने प्रतिक्रिया दी है। इजरायल ने कहा कि हमारे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं। इजरायल ने कहा कि आंतकी संगठन हमास को पूरी तरह से खत्म करने का हमने फैसला लिया है। हमास के आतंकी शुरुआत से फलस्तीनी नागरिकों को ढाल बना रहे हैं। हमास नागरिकों को गाजा से निकलने भी नहीं दे रहे हैं।
हमास फिलिस्तीनियों की जान को खतरे में डाल रहा है। ऐसे में हमास मानवीय हत्या और नागरिकों के अधिकारों का हनन करने का आरोपी है। इजरायल ने कहा कि गाजा पट्टी में रहने वाले फलस्तीनी नागरिक हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम मानवीय सहायता को गाजा में प्रवेश दिलाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
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अंतरराष्ट्रीय अदालत यूरोपीय देश हेग में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दो देशों के बीच जारी विवाद को सुलझाया जाता है। आईसीजे को संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च न्यायालय माना जाता है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को माना ही जाए। कई बार ऐसा हुआ है कि देशों ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। हाल ही में अदालत ने रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन में जारी अपने सैन्य अभियान को तुरंत बंद करे, लेकिन रूस ने अदालत के आदेश को मानने से इनकार कर दिया और हमला जारी है।
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