सऊदी की आधिकारिक प्रेस एजेंसी के मुताबिक इस्लाम के दूसरे सबसे पवित्र शहर मदीना में रमजान के पांचवें रोजे यानी 28 मार्च को इस व्यक्ति को मौत की सजा दी गई। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मौत की सजा पाने वाला व्यक्ति सऊदी का नागरिक था और वह हत्या का दोषी था। उसने पीड़ित की चाकू से गोदकर हत्या की थी और उसके बाद उसे जला डाला था।
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मानवाधिकारों के लिए बर्लिन स्थित यूरोपीय सऊदी संगठन (ईएसओएचआर) ने एक बयान में कहा, "सऊदी अरब ने रमजान के दौरान एक नागरिक को मार डाला।"
सऊदी गृह मंत्रालय के मृत्युदंड डेटा का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि सऊदी में 2009 के बाद से "पवित्र महीने के दौरान मौत की कोई सजा नहीं दी गई है।" इस साल 2009 के बाद रमजान के महीने में किसी व्यक्ति को मृत्युदंड दिया गया है।
सऊदी अरब में ही इस्लाम का जन्म हुआ था और उसके बाद यह पूरी दुनिया में फैला।
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ईएसओएचआर ने कहा कि रमजान में मौत की सजा पर अमल होने के साथ ही इस साल मौत की सजा की संख्या 17 हो गई है। बड़ी संख्या में लोगों को मौत की सजा देने के लिए सऊदी अरब बदनाम है।
सऊदी अरब ने साल 2022 में 147 लोगों को मौत के घाट उतारा था जो कि साल 2021 के आंकड़े से दोगुना से अधिक है। 2021 में 69 लोगों को सऊदी ने मृत्युदंड दिया था।
पिछले साल सऊदी ने ड्रग्स से जुड़े अपराधों के लिए मौत की सजा को दोबारा से बहाल कर दिया। करीब तीन साल तक रोक के बाद फिर से उसने ड्रग्स से जुड़े अपराधों के लिए मौत की सजा को शुरू किया है।
ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन रिप्राइव और ईएसओएचआर की तरफ से इस साल एक रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि 2015 में किंग सलमान के सत्ता संभालने के बाद से एक हजार से ज्यादा मौत की सजा दी जा चुकी है। सऊदी में अक्सर सिर कलम करके मौत की सजा दी जाती है।
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सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने द एटलांटिक मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि हत्या के मामले और बहुत सारे लोगों के जीवन को खतरे में डालने वाले अपराधों को छोड़कर सऊदी ने मौत की सजा से "छुटकारा" पा लिया है।
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