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सऊदी अरब ने दिसंबर में 38 लोगों को दी मौत की सजा, साल का सबसे घातक रहा आखिरी महीना

पिछले साल के आखिरी दिन सऊदी अरब में चार लोगों की मौत की सजा पर अमल किया गया। इस तरह दिसंबर देश में साल का सबसे घातक महीना बन गया।

फोटो: DW
फोटो: DW 

2023 में सऊदी अरब में 170 लोगों को मौत की सजा दी गई। चार लोग तो 31 दिसंबर को कत्ल किए गए। इस तरह 2023 में उससे पिछले साल के मुकाबले ज्यादा लोगों को मौत की सजा दे दी गई।

समाचार एजेंसी एएफपी ने सऊदी अधिकारियों द्वारा जारी आंकड़ों का हिसाब लगाकर बताया है कि 2022 में खाड़ी राजशाही में 147 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। उससे पहले 2019 में 187 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।

170 लोगों को मौत

सऊदी प्रेस एजेंसी ने खबर दी है कि रविवार को जिन चार लोगों को कत्ल किया गया उन्हें हत्या का दोषी पाया गया था। दो मामले उत्तर पश्चिम में ताबुक शहर के हैं, जबकि एक रियाद और एक जजान शहर का है।

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2023 में जिन 170 लोगों को कत्ल किया गया उनमें 33 लोगों पर आतंकवाद संबंधी आरोप थे जबकि दो सऊदी सेना के सैनिक थे जिन पर राष्ट्रद्रोह के आरोप थे। दिसंबर में सबसे ज्यादा 38 लोगों को मौत की सजा दी गई।

सऊदी अरब उन देशों में है जहां सबसे ज्यादा मौत की सजा दी जाती हैं। 2022 में वहां सबसे अधिक लोगों को गोली मार कर या सिर काटकर मौत की सजा दी गई थी।

सऊदी का रिकॉर्ड

एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 2022 में दुनिया में कुल 883 लोगों को मौत की सजा दी गई जो 2021 से 53 फीसदी ज्यादा और पांच साल में सबसे अधिक था। पिछले साल जारी एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और सऊदी अरब में मौत की सजाओं में बड़ी वृद्धि हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में दी गईं कुल मौत की सजाओं में से 70 प्रतिशत ईरान में दी गईं, जहां 2022 में वहां 576 लोगों को फांसी दे दी गई। 2021 के मुकाबले यह 83 फीसदी ज्यादा था।

कैसे बनेगी छवि?

2022 में मार्च महीने में एक ही दिन में सऊदी अरब में 81 लोगों को सिर काट कर मौत की सजा दी गई थी, जिसकी पूरी दुनिया में निंदा हुई थी। खाड़ी देश में इस्लामिक शरिया कानून का पालन किया जाता है और छोटे अपराधों में भी बहुत कड़ी सजाएं दी जाती हैं।

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वहां के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की छवि बदलने की कोशिश में जुटे दिखाई देते हैं। उन्होंने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनाने के मकसद से कई फैसले किए है। इसके बावजूद मानवाधिकार कार्यकर्ता सऊदी अरब की नीतियों की आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि देश में जिस दर पर मौत की सजाएं दी जा रही हैं, वह बनाई जा रही छवि के एकदम उलट है।

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