अगर आप खबरों के लिए पश्चिमी प्रेस पर पूरी तरह निर्भर हैं और सैन्य युक्तियों की आपकी समझ कम है, तो यह सोचने के लिए आपको माफ कर दिया जाएगा कि रूस यूक्रेन में हार रहा है। ठीक है, जहां तक प्रोपेगैंडा युद्ध का सवाल है, वह यूक्रेन में हार रहा है। पश्चिमी आक्रमण के नजरिये से वह भ्रम में पड़ गया है। लेकिन जमीन पर असली लड़ाई कुछ दूसरी है। जैसा कि पहले अनुमान किया गया था, रूस की चढ़ाई उतनी तेज नहीं है, पर वह अपने सभी लक्ष्य हासिल करता जा रहा है।
यह लेखक मार्च में यूक्रेन में था और उसे नाटो देशों, खास तौर से पोलैंड और अमेरिका के अधिकारियों, राजनयिकों और गुप्तचरों से मिलने का अवसर मिला। ये वे लोग हैं जो यूक्रेन के लिए युद्ध लड़ रहे हैं। शुरुआती कुछ मुलाकातों के बाद यह साफ हो गया कि यूक्रेन के जनरल कमांड के पास रणनीतिक निर्णय लेने के लिए कुछ भी नहीं और तकनीकी मामलों में भी उनकी बहुत कम भागीदारी है। कोई गलती न कीजिए- यह यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध है ही नहीं। जमीन पर लड़ाई छोड़कर नाटो पूरी शक्ति के साथ रूस से युद्ध कर रहा है।
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हालात यह है कि रूसी सशस्त्र बलों के ‘विशेष सैन्य ऑपरेशंस’ के पहले चरण की समाप्ति के बाद डॉनबास क्षेत्र से बाहर यूक्रेनी बल महज थल सेना बल के रूप में रहने लायक नष्ट कर दी गई है। अगर आप सैन्य रणनीति जानते हैं, तो आप समझ जाएंगे कि किसी सशस्त्र बल के साथ किया जाने वाला यह अत्यंत ही विध्वंसकारी हाल है।
यूक्रेन ने टैंक और हथियारबंद वाहनों समेत अपनी 85 प्रतिशत के करीब हथियारबंद यूनिटों को खो दिया है लेकिन यह आईएफवी (थल सेना युद्धक वाहन) और एपीसी (जवानों तथा हथियारों को ढोने वाले वाहन) तक सीमित नहीं हैं। इसकी वायु सेना नष्ट हो गई है और नौ सेना भी। इसके नुकसान का कम भी आकलन करें, तो युद्ध के दौरान इसके 20,000 सैनिक मारे जा चुके हैं जबकि 18,000 से अधिक इस हद तक घायल हुए हैं कि उन्हें तैनात नहीं किया जा सकता। शुरू में कुछ भड़कीले वीडियो डाले गए जिसमें यूक्रेन के कुछ वायु रक्षा उपकरण और ड्रोन रूसी वायु संपत्तियों को बाहर भगा रहे हैं। ये उपकरण और ड्रोन काफी हद तक नष्ट कर दिए गए हैं। 200 से अधिक कमांड और कम्युनिकेशन सेंटर और राडार सेंटर भी नष्ट किए जा चुके हैं। छोटी रेंज वाले और लंबी रेंज वाले- दोनों किस्म के कुल 240 वायु रक्षा वाहन मिट्टी में मिला दिए गए हैं।
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इसका मतलब है कि यूक्रेनी सेना भले ही बहुत बहादुरी से लड़ रही हो, किसी भी किस्म का आक्रमण कर पाने में अब अक्षम है। आक्रमणकारी फोर्स के तौर पर यह खत्म हो चुकी है। फिर भी, तीन वजहों से यह टिकी हुई है। पहली, इसके 40 प्रतिशत मल्टिपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) और तोपबंद फोर्स अब भी यूक्रेनी सेना के पास हैं। इन्हें इसने आबादी के बीच तैनात कर रखा है और समानांतर नागरिक नुकसानों के बिना इन्हें निकालना रूसियों के लिए असंभव है। शुरू से ही रूसी सशस्त्र सेनाएं अपने एक हाथ पीछे बांधकर इस युद्ध को लड़ रही हैं और यूक्रेन इसका पूरा लाभ उठा रहा है।
दूसरी वजह, नाटो देशों ने जितनी संख्या में हथियार, खास तौर से एंटी-टैंक मिसाइल और कंधे पर ढोए जा सकने वाले धरती से आकाश में मार करने वाली मिसाइल, उपलब्ध कराए हैं, वे बिल्कुल उन्मादी हैं। ये किसी भी सेना को भारतीय सशस्त्र बल के आकार तक बना देने को पर्याप्त हैं, यूक्रेनी सशस्त्र सेनाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए। तीसरी, इसके राजनीतिक वर्ग से अलग, नियो-नाजी एजोव बटालियन, राइट सेक्टॉर आदि समेत यूक्रेनी सशस्त्र सेनाएं छोटी-मोटी नहीं है। यह बहुत अच्छे-से प्रशिक्षित, हथियारों से बहुत अच्छे-से सज्जित, अभिप्रेरित है और रूसियों से बिल्कुल ही घृणा करती है। अगर आप अपने क्षेत्र से तुलना करना चाहें, तो यह उसी तरह है जैसे भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना है। इसका मतलब है कि यूक्रेनी सेना मिट्टी में मिल जाएगी लेकिन आत्मसमर्पण नहीं करेगी।
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जब यह लेखक यूक्रेन में था, तब उसने जो देखा, उससे स्थिति का आकलन किया जा सकता है। कई यूनिटों के नौसैनिक और नियो-नाजी सैनिक समेत 20,000 यूक्रेनी सेना मारियूपोल में फंसी हुई थी। उन्हें निकालने के विचार से निकोलेयेव की ओर से उस तरफ चढ़ाई की गई। लेकिन यूक्रेनी सेना को तुरंत ही अंदाजा हो गया कि एयर कवर या बख्तरबंद सहयोग के बिना असुरक्षित एमएलआरएस और तोपची यूनिटों पर निर्भर आक्रमण विनाशकारी विचार है। यह चार किलोमीटर से आगे बढ़ ही नहीं पाया।
राजधानी कीव के बाहरी हिस्सों से रूसी सेना की वापसी ने कई सैन्य विशेषज्ञों को हैरान कर दिया। कीव के बाहरी इलाकों में हुए भीषण संघर्ष का यह लेखक गवाह है। यह बहुत साफ था कि अगर चालीस लाख में से आधी आबादी को बाहर भी निकाल दिया गया हो, तब भी रूसी सेना इतनी आबादी वाले शहर पर कब्जा करने लायक पर्याप्त सैनिक लेकर नहीं आए थे। अभी स्थिति यह है कि यूक्रेनी सेना के मुकाबले रूसी सेना का अनुपात 3:1 है। कीव के पास यह 5:1 था। पर कीव को निशाना बनाकर उसने पूरब और दक्षिण में यूक्रेन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। भले ही रूसी सेना लौट गई हैं, पूरब और दक्षिण में एक हद के बाद यूक्रेनी सेना अपनी रक्षा को अब भी मजबूत नहीं कर सकती। ऐसा मुख्यतया इसलिए है कि उनकी कोई भी गतिविधि पकड़ ली जाएगी और रूसी वायु सेना उसे नष्ट कर देगी।
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इसका मतलब यह नहीं है कि डॉनबास क्षेत्र में संघर्ष आसान होगा। यह अच्छे से किलेबंद है और इसकी रक्षा नाटो द्वारा प्रशिक्षित सर्वोत्तम यूक्रेनी सेना कर रही है। यहां भीषण संघर्ष होगा और कोई भी परिणाम कई हफ्ते बाद ही आ पाएगा। पहले चरण में रूस ने पुराने और कई मर्तबा बेकार हथियार उपयोग किए। लेकिन सूत्र इस बात को पुष्ट करते हैं कि दूसरे चरण में टी-80यू’एस, टी-80यूई1 और टी-80बीवी समेत बिल्कुल आधुनिक टैंकों की श्रृंखला खारकीव की ओर बढ़ रहे हैं। पहले चरण में उपयोग न किए गए कई और आधुनिक हथियार भी उसके साथ हैं।
अभी जब यह रिपोर्ट फाइल की जा रही है, टी-80यू’एस, टी-80यूई1, टी-80बीवी, बीएमपी2एस और हथियारबंद वाहनों का 10 किलोमीटर लंबा काफिला डोनबास मोर्चे पर जाने के क्रम में वेलिक्यूई बुरलुक शहर से गुजर रहा है। मतलब, स्लोवियान्स्क और बारविन्कोव पर हमले होने ही वाले हैं।
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