संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रोहिंग्या संकट का प्रत्यक्ष हाल जानने के लिए आखिरकार इस महीने म्यांमार और बांग्लादेश का दौरा करने की योजना बना रही है।
परिषद के अध्यक्ष गस्तावो मेजा कुआद्रा के अनुसार, परिषद इस दौरे के जरिए उचित संदेश देना चाहती है।
उन्होंने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि म्यांमार सरकार ने इस यात्रा के लिए अनुमति देने की हामी भर दी है और इस दौरे के विवरण को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि परिषद रोहिंग्या संकट के केंद्र, रेखाइन राज्य का दौरा कर पाएगी, जहां से करीब सात लाख शरणार्थी पड़ोसी देश बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं।
उन्होंने कहा, "स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए रेखाइन का दौरा करना बेहद महत्वपूर्ण है।"
मेजा कुआद्रा ने स्वीकार किया कि परिषद में म्यांमार मुद्दे को लेकर अलग-अलग मत हैं।
उन्होंने कहा कि परिषद के सदस्य बांग्लादेश में कॉक्स बाजार का दौरा करेंगे, जहां अधिकांश रोहिंग्या शरणार्थियों ने शरण ली है।
उन्होंने कहा कि परिषद अगले महीने इराक का भी दौरा करेगी, जहां अगले महीने चुनाव होने हैं।
उन्होंने कहा, "बगदाद ने आतंकवाद के खिलाफ, खासतौर पर दाएश के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। दाएश को इस्लामिक स्टेट के नाम से भी जाना जाता है।"
उन्होंने कहा, "देश को अपने पुननिर्माण और सुलह सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समर्थन की जरूरत है। हम इसी प्रकार के संदेश देने का प्रयास करेंगे।"
संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय के अनुमान के अनुसार म्यांमार में पिछले साल अगस्त में हिंसा भड़कने के बाद से सात लाख से भी अधिक रोहिंग्या शरणार्थी अपने घर छोड़कर बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में हुए व्यापक हमलों को 'जातीय सफाई' करार दिया है, जिनके कारण रोहिंग्या समुदाय को अपने घरों से पलायन करना पड़ा।
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