पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने ही देश में चारों तरफ से घिर गए हैं। उन्हें सत्ता से बेदखल होने का डर सताने लगा है। पाकिस्तान में उन्हें हटाने की मुहिम तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि यही वजह है कि वो अपने विरोधियों से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए हैं। इमरान खान ने अपने राजनीतिक सहयोगियों से जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के साथ बातचीत का रास्ता खोलने को कहा है। रहमान ने संघीय राजधानी में सरकार के खिलाफ 31 अक्टूबर को बैठक बुलाई है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में सरकार के प्रवक्ताओं के साथ बैठक के दौरान यह निर्देश दिए।
Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST
बैठक में शामिल प्रधानमंत्री के एक प्रवक्ता ने कहा कि फैसला लिया गया है कि सरकार को उनकी पार्टी की मांगों का पता लगाने के लिए जेयूआई-एफ प्रमुख से पहुंच स्थापित करनी चाहिए और इस मुद्दे पर गतिरोध नहीं बढ़ाना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा, “बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि मौलाना रहमान द्वारा 27 अक्टूबर को सिंध से आजादी मार्च के रूप में किए जाने वाले आंदोलन को रोका नहीं जाएगा। यह आंदोलन 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा। लेकिन अगर प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया स्पष्ट है कि किसी भी गतिरोध से बचने के लिए मौलाना से संपर्क स्थापित करने में कोई बुराई नहीं है।”
Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST
प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री का विचार है कि जेयूआई-एफ प्रमुख दो मुख्य विपक्षी दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कतार में हैं। बैठक में कहा गया कि पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों, जो क्रमश: दो और तीन बार सत्ता में रहे, अब एक मंच पर पहुंच गए हैं और वह देश में छोटे दलों की मदद लेने के लिए मजबूर हैं।
Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST
इस बीच, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल हक कादरी ने स्पष्ट किया कि उन्हें मौलाना फजलुर रहमान के साथ बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। एक बयान में मंत्री ने कहा कि मीडिया में चल रही उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस मामले को देखने के लिए एक समिति बनाने का काम सौंपा है।
Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST
मीडिया में आई खबरों ने यह भी संकेत दिया कि मौलाना रहमान को संघीय राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उन्हें पंजाब या खैबर पख्तूनख्वा में गिरफ्तार किया जा सकता है। माना जा है कि सिंध सरकार, जहां पीपीपी सत्ता में है, जेयूआई-एफ प्रमुख को आजादी मार्च शुरू करने की सुविधा देगी। गौरतलब है कि मौलाना रहमान ने इमरान खान को सत्ता से हटाने के लिए इस मार्च का ऐलान किया है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST
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Published: 13 Oct 2019, 10:38 AM IST