जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के प्रमुख सिराजुल हक ने सरकार विरोधी आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा है कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अधीन हो गया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी। इस्लामाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जेआई प्रमुख ने एसबीपी गवर्नर रेजा बाकिर के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि अगर उन्हें हटाया नहीं गया तो 'हम एसबीपी को घेराव कर सकते हैं।'
Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की भी मांग करते हुए कहा कि पूरे देश में माफिया राज हैं और 2022 सरकार का आखिरी साल होगा। उन्होंने साथ ही सरकार विरोधी आंदोलन की घोषणा की, जिसका समापन इस्लामाबाद में होगा। सिराज ने ब्याज आधारित आर्थिक व्यवस्था को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान सूदखोरी और भ्रष्टाचार के लिए नहीं बना है।
Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST
उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और जापान सहित अन्य देशों ने 'ब्याज दरों को शून्य कर दिया है' लेकिन पाकिस्तान की प्रणाली एक 'साजिश' के तहत जंजीर में जकड़ी हुई है क्योंकि उसकी आय का 35 से 45 प्रतिशत ब्याज वाले ऋणों में जाता है।
Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस्लामिक कल्याणकारी राज्य के झूठे दावे करती है, जबकि 75 साल का अनुभव बताता है कि देश सर्वजन हितों के साथ विकसित नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि ब्याज मुक्त व्यापार विधेयक सीनेट द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था, लेकिन सरकार इसे नेशनल असेंबली में पेश नहीं करना चाहती है।
Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, जेआई प्रमुख ने सरकार की 'विफलताओं' की ओर इशारा किया, जिसमें फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 'ग्रे लिस्ट' पर पाकिस्तान की अवधारणा से लेकर 'मिनी-बजट' की शुरूआत तक शामिल है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST
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Published: 02 Jan 2022, 5:05 PM IST