भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी और दामाद को बड़ी राहत देते हुए इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है। बुधवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तीनों की तरफ से दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। तीनों ने जुलाई में अपने खिलाफ सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा तीनों को सुनाई गई सजा स्थगित कर दी। तीनों को रिहा करने का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने तीनों को 5-5 लाख रुपये जमानत राशि जमा करने का भी निर्देश दिया है। नवाज शरीफ, मरियम नवाज और कैप्टन सफदर को लंदन में आय के स्रोत से बहुत अधिक संपत्ति रखने के आरोपों में 11 साल, 7 साल और एक साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
हाल ही में पत्नी कुलसुम नवाज के निधन के बाद उनके जनाजे में शामिल होने के लिए नवाज शरीफ परोल पर जेल से बाहर आए थे। कैंसर से पीड़ित कुलसुम नवाज का लंबी बीमारी के बाद लंदन में निधन हो गया था। बता दें कि एवेनफील्ड प्रोपर्टीज केस में बीते 6 जुलाई को जवाबदेही अदालत ने नवाज शरीफ, मरियम नवाज और कैप्टन सफदर को दोषी पाया था। शरीफ परिवार पर लंदन में 4 आलीशान फ्लैट के मालिकाना हक का आरोप है। पाकिस्तान के आम चुनाव से पहले दोषी पाए जाने के बाद नवाज शरीफ ने बेटी और दामाद के साथ सरेंडर कर दिया था। तभी से वो रावलपिंडी की आदियाला जेल में बंद हैं।
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शरीफ के खिलाफ मामले का खुलासा पनामा पेपर लीक्स में हुआ था। साल 2016 में अमेरिका स्थित खोजी पत्रकारों के एक संघ आईसीआईजे ने कई देशों के टैक्स हेवेन के रूप में काम करने और तमाम देशों के प्रमुख राजनेताओं और प्रमुख हस्तियों के वहां निवेश कर टैक्स चोरी करने का खुलासा किया था। इसी खुलासे में नवाज शरीफ का परिवार भी आरोपों के घेरे में आ गया। पनामा पेपर्स के मुताबिक नवाज शरीफ की बेटी मरियम और बेटे हसन और हुसैन की विदेश में कंपनियां थीं, जिनके जरिये कई लेनदेन हुए थे। इसी में ये भी सामने आया कि 1990 के दशक में शरीफ के प्रधानमंत्री रहने के दौरान परिवार ने लंदन में कई संपत्तियां खरीदीं। हालांकि शरीफ और उनके परिवार ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को खारिज किया है।
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