अफगानिस्तान के गृहयुद्ध में शामिल पक्षों के बीच शांति वार्ता की बात काफी समय से चल रही है. इस साल 29 फरवरी को अमेरिका से समझौते के बाद से ही तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत के कयास लग रहे थे। अब तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि महीनों से नियोजित अंतर-अफगानी शांति वार्ता खाड़ी के देश कतर में होगी। रविवार को अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता सेदिक सिद्दिकी ने ये सूचना दी थी। अब तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।
11 जून को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और मुतलाक बिन माजेद अल-कहतानी की अगुवाई में कतर के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच काबुल में हुई बैठक में इस मुद्दे पर सहमति बनी थी। कहतानी आतंकवाद के प्रतिवाद और संघर्ष समाधान की मध्यस्थता के लिए कतर के विदेश मंत्री के विशेष दूत हैं। गनी के एक वरिष्ठ सहयोगी ने बताया कि वर्तमान समझौता केवल पहली बैठक के लिए है और अफगान शांति प्रयासों में शामिल पक्ष अभी भी बारीकी से इस पर काम कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि वार्ता स्थल के बारे में जल्द ही जानकारी साझा करेंगे।
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योजना के अनुसार दोनों पक्षों की पहली मुलाकात दोहा में होगी, लेकिन सीधी बातचीत की जगह अभी तय नहीं हुई है। प्रेक्षकों का कहना है कि तालिबान चाहता है कि बातचीत दोहा में हो जहां उसने 2013 से ही अपना राजनीतिक मुख्यालय खोल रखा है। इस शांति वार्ता के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं हुई है।
इस बातचीत का मकसद अफगानिस्तान में लंबे समय से चले आ रहे हिंसक विवाद का खात्मा है। इसके लिए काबुल सरकार और चरमपंथी इस्लामी संगठन तालिबान बंदियों की अदला-बदली के एक समझौते पर काम कर रहे हैं। बातचीत शुरू होने से पहले बंदियों की अदला-बदली भरोसे का माहौल बनाने का काम करेगी। हाल में तालिबान के बढ़ते हमलों के बाद बंदियों की अदला-बदली रुक गई थी।
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अफगानिस्तान की सुरक्षा परिषद ने रविवार को बताया कि पिछले एक हफ्ते में तालिबान ने 222 आतंकी हमले किए हैं, जिनमें देश के 422 सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हो गए हैं। आमतौर पर अफगानिस्तान की सरकार तालिबान के साथ लड़ाई में मरने वाले अपने सैनिकों की तादाद के बारे में कोई जानकारी नहीं देती रही है। लेकिन पिछले हफ्तों में तनाव में कमी के बाद बंदियों की अदला बदली के लिए हालात बेहतर हुए हैं।
बंदियों की अदला-बदली का फैसला अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते का हिस्सा है जिस पर इस साल फरवरी में दोहा में दस्तखत किए गए थे। मुसलमानों के पवित्र त्योहार ईद के समय तीन दिनों के संघर्ष विराम ने अफगानिस्तान के दोनों पक्षों के बीच तनाव घटाने का काम किया है। उसके बाद अफगान सरकार ने 3000 बंदियों को रिहा कर दिया। जिसके जवाब में तालिबान ने सरकारी पक्ष के 600 लोगों को रिहा किया है।
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अमेरिका-तालिबान समझौते में वहां मौजूद बाकी अंतरराष्ट्रीय सैनिकों को हटाने की बात तय हुई है, जिससे अफगानिस्तान के घरेलू फरीकों के बीच शांति वार्ता का रास्ता खुलेगा। अफगानिस्तान सरकार इस समझौते में शामिल नहीं थी, क्योंकि तालिबान ने उसके साथ सीधी बातचीत करने से मना कर दिया था। इसलिए शुरुआत में उसका रवैया फूंक-फूंक कर पांव बढ़ाने का था। लेकिन इस बीच उसने तालिबान बंदियों को रिहा करना शुरू कर दिया है। अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के अनुसार अफगान सरकार तालिबान के 5000 लड़ाकों को रिहा करेगी, जबकि तालिबान सरकारी पक्ष के 1000 लोगों को छोड़ेगा।
आज यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के विदेश मंत्री अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पेयो के साथ बातचीत कर रहे हैं। इसमें दूसरी बातों के अलावा अफगानिस्तान मुद्दे पर भी बातचीत होने की संभावना है। अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस करने की अमेरिका की घोषणा सहयोगियों से बातचीत के बिना हुई थी। अफगानिस्तान, इराक और जर्मनी से भी अमेरिकी सैनिकों को हटाने के इरादे ने यूरोप के देशों में संशय की स्थिति पैदा कर दी है। इस बैठक में इन सभी पर चर्चा की उम्मीद है।
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