नागरिकता संशोधन कानून और सीएए के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र की मोदी सरकार अपने फैसले पर अडिग है। उसका कहना है कि सीएए के बाद पूरे देश में एनआरसी लाया जाएगा। एनआरीस लाने के पीछे देश के गृह मंत्री अमित शाह यह हवाला दे रहे हैं कि पड़ोसी देशों से जो भी घुसपैठिए भारत में घुसे हैं उन्हें बाहर किया जाएगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मोदी सरकार पड़ोसी देशों, जैसे बांग्लादेश और नेपाल को यह आश्वसन दे रही है कि एनआरसी से उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। मोदी सरकार इन पड़ोसी देशों से यह कह रही है कि एनआरसी का भारत से जुड़ा मुद्दा है।
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बांग्लादेश के बाद अब नेपाल ने एनआरसी को लेकर बड़ा बयान दिया है। न्यूज़ एजेंसी एनएआई ने नेपाल सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि एनआरसी को लेकर नेपाल सरकार ने भारत सरकार के साथ बात की है। नेपाल सरकार ने एनआरसी के मुद्दे पर जब भारत सरकार से बात की तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने नेपाल को आश्वासन दिया कि यह भारत से जुड़ा मुद्दा है। राजनाथ सिंह और अमित शाह ने नेपाल से कहा, “एनआरसी ऐसा मुद्दा नहीं जिसे लेकर आप से (नेपास से) बात करनी जरूरी है। यह भारत का मुद्दा है।”
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नेपाल सरकार के इस बयान के सामने आने के बाद एक बार फिर एनआरसी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह कि अगर एनआरसी भारत का मुद्दा है तो आखिर देश के गृह मंत्री सार्वजनिक सभाओं में यह क्यों कह रहे हैं कि एनआरसी में जो भी बाहर होगा। वह जहां का भी नागरिक होगा उसे वहां भेज दिया जाएगा। अमित शाह कई बार यह कह चुके हैं कि पड़ोसी देशों से घुसपैठिए भारत में गुसे हैं। उन्होंने कहा था कि जो भी घुसपैठिए बांग्लादेश, नेपाल या फिर किसी भी पड़ोसी देश से भारत में घुसे हैं, उन्हें वहीं वापस भेज दिया जाएगा, जहां से वह आए थे। सवाल यह कि अगर कोई घुसपैठिया नेपास से घुसा है तो जाहिर अमित शाह के हिसाब से उसे नेपाल भेजा जाएगा। जब उस घुसपैठिए को नेपाल भेजा जाएगा तो जाहिर सी बात है कि नेपाल को इस बारे में जानकारी देने पड़ेगी। कोई भी देश किसी भी नागरिक को ऐसे ही अपना स्वीकार नहीं करेगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या देश के गृह मंत्री अमित शाह देश समेत पड़ोसी देशों को भी एनआरसी के मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं।
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इससे पहले बांग्लादेश भी एनआरसी और सीएए पर बड़ा बयान दे चुका है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि एनआरसी और सीएए भारत का आंतरिक मामला है। इससे उनके देश का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि एनआसी और सीएए की आखिर जरूरत ही क्या थी।
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