संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से पता चला है कि लगभग चार करोड़ लोग आधुनिक दासता में फंसे हुए हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं, जबकि 15.20 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), वॉक फ्री फाउंडेशन और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई इस रिपोर्ट में दुनिया भर में मौजूद आधुनिक दासता के वास्तविक स्तर को सामने रखा गया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जारी आंकड़ों से पता चलता है कि आधुनिक दासता में फंसे चार करोड़ लोगों में 2.9 करोड़ यानी 71 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां हैं। इसमें फंसे बच्चों की संख्या लगभग एक करोड़ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 6.4 करोड़ लड़कियां और 8.8 करोड़ लड़कों सहित कुल 15.20 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर के बच्चों का 10वां हिस्सा है। इसमें 7.21 करोड़ बच्चे अफ्रीका में रह रहे हैं। इसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 6.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम में जीने को मजबूर हैं। बाल श्रमिकों में 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे कृषि में लगे हुए हैं, जबकि 17 फीसदी से ज्यादा सेवा क्षेत्र में और उद्योग में लगभग 12 फीसदी बच्चे काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2016 में लगभग 2.5 करोड़ लोग बंधुआ मजदूर थे। इसमें से 1.6 करोड़ लोगों को निजी क्षेत्र में श्रम के नाम पर लगाकर उनका शोषण किया गया। इसमें घरेलू काम, निर्माण और कृषि शामिल है। लगभग 50 लाख लोगों का जबरन यौन शोषण किया गया और 40 लाख से ज्यादा को उनके देश के प्रशासन ने बंधुआ मजदूर बनाए रखा।
वॉक फ्री फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष एंड्र फॉरेस्ट ने कहा कि इससे पता चलता है कि आज की हमारी दुनिया में भेदभाव और असमानताएं किस हद तक समाज में गहरे बैठी हुई हैं। ये हैरान करने वाली बात है कि आज भी शोषण को सहा जा रहा है।
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