यूनिसेफ की नई रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल से कम उम्र के लगभग 80 लाख बच्चों के गंभीर कुपोषण से मरने का खतरा है। इनमें से अधिकतर बच्चे उन 15 देशों में हैं जो भोजन और चिकित्सा सहायता की कमी से पीड़ित हैं। इन संकटग्रस्त देशों में अफगानिस्तान, इथियोपिया, हैती और यमन शामिल हैं।
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पिछले साल तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही देश की हालत खराब हुई है। एक अनुमान के मुताबिक इस साल अफगानिस्तान में 11 लाख बच्चे भीषण भूख से पीड़ित होंगे। बहुत अधिक दुबलापन कुपोषण का सबसे खराब रूप है। इस रोग में बच्चे को भोजन की इतनी कमी हो जाती है कि उसका प्रतिरक्षा तंत्र काम करना बंद कर देता है। उन्हें अन्य बीमारियों के होने का भी खतरा होता है।
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अल्पपोषण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का कारण बनता है, जो अच्छी तरह से पोषित बच्चों की तुलना में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के जोखिम को 11 गुना तक बढ़ा देता है।
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यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 की शुरुआत से कुपोषण ने अतिरिक्त 2,60,000 बच्चों को प्रभावित किया है। यूक्रेन में युद्ध और दुनिया के कुछ हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार सूखे के कारण खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण आर्थिक प्रभाव ने भी बच्चों में कुपोषण के मामलों में वृद्धि में योगदान दिया है।
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यूनिसेफ ने कहा कि अनाज संकट को दूर करने के लिए 1.2 अरब डॉलर के सहायता पैकेज की तत्काल जरूरत है।
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यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा, "जी 7 मंत्रिस्तरीय के लिए जर्मनी में एकत्रित होने वाले विश्व नेताओं के पास इन बच्चों के जीवन को बचाने के लिए काम करने के अवसर के तौर पर एक छोटा सा मौका है। बर्बाद करने का कोई समय नहीं है। अकाल घोषित होने का इंतजार बच्चों के मरने का इंतजार करने जैसा है।"
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इससे पहले मई में भी यूनिसेफ ने बच्चों की स्थिति को लेकर चेताया था। उस वक्त एजेंसी ने कहा था कि कुपोषित बच्चों के जीवन को बचाने के लिए इलाज की लागत में 16 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। यूनिसेफ के मुताबिक रेडी-टू-यूज थेराप्यूटिक फूड (आरयूटीएफ) के लिए जरूरी कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का भी इन बच्चों की जान बचाने पर असर पड़ सकता है।
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