खालिस्तानी आतंकी और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिका में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक अमेरिका के हाईवे 101 पर पन्नू की कार का एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उसकी मौत हो गई। हालांकि, फिलहाल इस खबर की औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि पन्नू की मौत हो गई है।
भारत में खालिस्तान आतंकवाद को हवा दे रहा पन्नू पिछले दो महीने के दौरान विदेशों में अपने कई सहयोगियों की ऐसी ही संदिग्ध पारिस्थितियों में मौत के बाद से खौफ में था और पिछले कुछ समय से अंडरग्राउंड हो गया था। उसने अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर रखा था, ताकि लोकेशन ट्रेस न हो, लेकिन अब खबर आ रही है कि मौत ने उसका पता ढूंढ ही निकाला।
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मूल रूप से अमृतसर के खानकोट गांव का रहने वाला पन्नू अमेरिका में बसा हुआ था। भारतीय एजेंसियों के अनुसार, वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारत में खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देकर देश को जलाने के मंसूबे पूरा करने में जुटा हुआ था। वह अमेरिका के अलावा इंग्लैंड और कनाडा में अपने संगठन के जरिए भारत विरोधी प्रोपेगंडा फैलाता था। खालिस्तान के नाम पर वह पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहता था।
हाल ही में उसने पाकिस्तान में परमजीत सिंह पंजवड़, कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और ब्रिटेन में अवतार सिंह खांडा जैसे खालिस्तान समर्थक अपने साथियों की हत्या के लिए अमेरिका और कनाडा में भारतीय दूतावास के अफसरों और भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए वीडियो जारी किया था। 30 जून के वीडियो में उसने 8 जुलाई से भारतीय दूतावासों को घेरने की धमकी दी थी और इसके अगले ही दिन यानी 1 जुलाई की रात को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास में आग लगाने की कोशिश की गई। हालांकि यह उसका धमकी भरा आखिरी वीडियो साबित हुआ।
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सिखों को खालिस्तान मुहिम से जोड़ने के लिए पन्नू सोशल मीडिया का सहारा लेता था। पन्नू अमेरिका में बैठकर पिछले लंबे समय से 'पंजाब रेफरेंडम 2020' नाम से खालिस्तानी आंदोलन चला रहा था, जिसमें वह सिखों को उकसाने की कोशिश करता था। वह पंजाब के गैंगस्टरों और युवाओं को अलग खालिस्तान देश के लिए लड़ने के लिए उकसाता था।
पंजाब में ऐसे कई लोग पकड़े गए, जिन्होंने पन्नू के कहने पर सरकारी और सार्वजनिक जगहों पर खालिस्तानी नारे लिखकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी। उसकी इन हरकतों की वजह से ही भारत सरकार ने 2020 में उसे आतंकवादी घोषित करते हुए उसके संगठन सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बाद भी उसके तेवर ढीले नहीं हुए थे।
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लेकिन पिछले दो महीने में 3 साथियों की हत्या के बाद वह खौफ में आ गया था। सबसे पहले 6 मई को खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ की लाहौर में सोसायटी में घुसकर हत्या कर दी गई। वह 1990 से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था। वह यहां मलिक सरदार सिंह के नाम से रह रहा था। इसके बाद 14 जून को भारतीय दूतावास पर हमले की योजना बनाने वाले खालिस्तान समर्थक नेता अवतार सिंह खांडा की ब्रिटेन में मौत हो गई। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि वह ब्लड कैंसर से पीड़ित था। लेकिन उसकी जहर से मौत की भी चर्चा है।
वहीं 18 जून को खालिस्तान टाइगर फोर्स के चीफ हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा के गुरुद्वारे की पार्किंग में गोली मार दी गई थी। निज्जर को कार से उतरने का समय भी नहीं दिया गया। निज्जर उस गुरुद्वारे का प्रधान था। तीनों की मौत के बाद पन्नू को डर था कि उसकी भी हत्या हो सकती है।
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