गाजा पट्टी में भीषण इजरायली हमलों के बीच संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष समिति ने कहा कि गाजा में इजरायल की नीतियां और युद्ध के तरीके 'नरसंहार के अनुरूप' हैं। यूएन मानवतावादी कार्यालय (ओसीएचए) ने बताया कि पिछले दो दिनों में, उत्तरी गाजा तक मदद पहुंचाने के 6 कोशिशों को ब्लॉक किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1968 में इस समिति की स्थापना की थी, जिसका दायित्व कब्जे वाले सीरियाई गोलान, गाजा पट्टी और पूर्वी यरूशलेम समेत वेस्ट बैंक में मानवाधिकारों की स्थिति की समीक्षा करना है।
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समिति के मुताबिक, गाजा की घेराबन्दी के जरिए, मानवीय सहायता में रुकावट पैदा करके, आम नागरिकों व सहायताकर्मियों को निशाना बना कर, इसराइल ने पूर्व मंशा के साथ भुखमरी को युद्ध तौर-तरीके के रूप में इस्तेमाल किया।
समिति ने इस बात पर नाराजगी जताई कि गाजा मे इजरायली सैनिकों ने महिलाओं व बच्चों समेत फिलिस्तीनियों के साथ क्रूर, अपमानजनक बर्ताव किया। ऐसे आरोप हैं कि इसराइली सैनिकों ने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीनी महिलाओं की तस्वीरें शेयर की, जिनमें उनका मखौल उड़ाते हुए अपमान किया गया।
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समिति ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के खिलाफ दुष्प्रचार मुहिम की भी निन्दा की और कहा कि गाजा में हिंसक टकराव की रिपोर्टिंग व मीडिया को जानबूझकर चुप कराने की कोशिशें हो रही हैं।
समिति की रिपोर्ट को यूएन महासभा के 79वें सत्र के दौरान 18 नवम्बर 2024 को प्रस्तुत किया जाएगा।
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गाजा में इजरायल की सैनिक कार्रवाई एक साल से ज्यादा समय से जारी है। पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के बड़े हमले के जवाब में यहूदी राष्ट्र ने फिलिस्तीनी ग्रुप के कब्जे वाली गाजा पट्टी में सैन्य अभियान शुरू किया था। हमास के हमले में करीब 1200 लोग मारे गए जबकि 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाया गया। इजरायली हमलों ने गाजा में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और हजारों फिलिस्तीनियों की मौत हुई है।
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