भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अपने देशों की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए चीन की आक्रामक कार्रवाइयों, कार्यो पर चर्चा की। विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता केल ब्राउन ने कहा कि दोनों शीर्ष राजनयिकों ने गुरुवार को क्षेत्र में 'हाल ही में अस्थिरता लाने को लेकर हुई गतिविधियों से निपटने' के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा की ।
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हालांकि प्रवक्ता ने इसके लिए जिम्मेदार देश का नाम नहीं लिया लेकिन पोम्पियो के हालिया बयानों से यह स्पष्ट है कि यह चीन के बारे में था। पोम्पियो ने बार-बार हिमालय में लद्दाख और भूटान में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग की आक्रामक कार्रवाइयों की बात की है, जहां इसने कई देशों के क्षेत्रीय जल क्षेत्र में घुसपैठ की है। ब्राउन ने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भी दोनों के बीच चर्चा हुई।
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तालिबान के साथ एक समझौता, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला लेंगे, इस पर भारत की नजर है। भारत तालिबान-अमेरिकी समझौते से सावधान है। अतंकवादी संगठन भारत के लिए परेशानी खड़ा सकता है। कथित तौर पर अमेरिका चाहता है कि भारत सीधे तालिबान से डील करे। ब्राउन ने कहा कि उन्होंने "अंतर्राष्ट्रीय चिंता के मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा की, जिसमें कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयास शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत और विश्व भर में शांति, समृद्धि, और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अमेरिका-भारत संबंध की मजबूती को दोहराया और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों निकट सहयोग जारी रखने के लिए के लिए सहमत हुए।
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