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PAK के इतिहास में 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया कोई भी PM, किसी को सेना ने हटाया, कोई हुआ बर्खास्त

पाकिस्तान के इतिहास में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान इकलौते ऐसे नेता हैं जो सबसे लंबे समय तक पद पर रहे। लियाकत अली खान 4 साल 2 महीने तक प्रधानमंत्री रहे थे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर तख्तापलट होने जा रहा है। खतरे में पड़ी कुर्सी को इमरान खान कभी भी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। उधर विपक्ष इमरान के खिलाफ एकजुट हुआ पड़ा है। पाकिस्तान संसद में आज बहस होनी और 3 अप्रील को इस पर वोटिंग भी होगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राह में आ रही इन अर्चनों को अनदेखा कर 5 साल का कार्यकाल पूरा करने का भी दावा कर रहे हैं। हालांकि जो दावा पाक पीएम कर रहे हैं ऐसे कईयों ने किए लेकिन आज तक कोई भी पाक पीएम अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।

हालांकि सबसे ज्यादा समय तक पीएम रहने का रिकॉर्ड लियाकत अली खान के नाम है। वो इकलौते ऐसे नेता हैं जो सबसे लंबे समय तक पद पर रहे। लियाकत अली खान 4 साल 2 महीने तक प्रधानमंत्री रहे थे। पाकिस्तान में तीन बार सेना तख्तापलट कर चुकी है तो किसी प्रधानमंत्री की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया है। एक प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई थी, तो किसी को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया।

तो चलिए जानते हैं कि आखिर पाकिस्तान के इतिहास के अब तक के प्रधानमंत्रियों को कैसे पद से हटाया गया?

लियाकत अली खान: पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान 4 साल 2 महीने (15 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951) तक पद पर रहे। लियाकत रावलपिंडी के कंपनी बाग में जब रैली कर रहे थे, तब उनकी हत्या कर दी गई थी। उनके सम्मान में इस जगह का नाम लियाकत बाग रखा गया।

ख्वाजा नजीमुद्दीन: जब लियाकत अली खान की हत्या हुई, तब ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे। मुस्लिम लीग के नेताओं ने ख्वाजा नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने और उन्होंने मलिक गुलाम मोहम्मद को गवर्नर जनरल नियुक्त किया। बाद में गुलाम मोहम्मद ने अपनी अधिकारियों का इस्तेमाल किया और नजीमुद्दीन को हटा दिया। वो 17 अक्टूबर 1951 से 17 अप्रैल 1953 तक पीएम रहे।

मोहम्मद अली बोगरा: नजीमुद्दीन की बर्खास्तगी के बाद गुलाम मोहम्मद ने मोहम्मद अली बोगरा (17 अप्रैल 1953 से 11 अगस्त 1955) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। दो साल बाद गुलाम मोहम्मद जब विदेश यात्रा पर गए तो उनकी जगह इस्कंदर मिर्जा को कार्यकारी गवर्नर जनरल बनाया गया। तभी इस्कंदर मिर्जा ने गुलाम मोहम्मद और मोहम्मद अली बोगरा को बर्खास्त कर दिया।

चौधरी मोहम्मद अली: मोहम्मद अली के कार्यकाल में ही पाकिस्तान ने अपना संविधान अपनाया। लेकिन मोहम्मद अली को अपनी ही पार्टी मुस्लिम लीग से विरोध का सामना करना पड़ा। उनकी अपनी पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। बाद में मोहम्मद अली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, वो 11 अगस्त 1955 से 12 सितंबर 1956 तक पीएम रहे थे।

हुसैन शहीद सुहरावर्दी: मोहम्मद अली के इस्तीफे के बाद सुहरावर्दी ने मुस्लिम लीग से हाथ मिला लिया और प्रधानमंत्री बन गए। लेकिन मोहम्मद अली की तरह ही सुहरावर्दी की भी अपनी पार्टी से नहीं बनी। उनके राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा से मतभेद हो गए। इस कारण सुहरावर्दी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सुहरावर्दी 12 सितंबर 1956 से 18 अक्टूबर 1957 पीएम पद पर थे।

इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर: इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर 18 अक्टूबर 1957 से 16 दिसंबर 1957 प्रधानमंत्री थे। उन्हें आवामी लीग, कृषक श्रमिक पार्टी, निजाम-ए-इस्लाम पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन हासिल था। लेकिन सदन में चुंदरीगर बहुमत साबित नहीं कर पाए और 55 दिन बाद ही पद से इस्तीफा देना पड़ा।

फिरोज खान नून (16 दिसंबर 1957 से 7 अक्टूबर 1958): राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने फिरोज खान नून को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। लेकिन बाद में दोनों के रिश्तों में तल्खी आने लगी।इसी बीच आर्मी चीफ अयूब खान ने तख्तापलट कर दिया।पाकिस्तान में ये पहली बार था जब सेना ने तख्तापलट किया था।सेना ने मिर्जा को हटा दिया और मार्शल लॉ लागू कर दिया।नून की सरकार भी बर्खास्त हो गई.

नूर-उल-अमीन (7 दिसंबर 1971 से 20 दिसंबर 1971) जब बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन चल रहा था, तभी जुल्फिकार अली भुट्टो की सिफारिश पर राष्ट्रपति जनरल याह्या खान ने बंगाली नेता नूर-उल-अमीन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। हालांकि, वो सिर्फ 13 दिन तक ही इस पद पर बने रहे।

जुल्फिकार अली भुट्टो(14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977): हार के बाद याह्या खान ने भी राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो ने काम संभाला।1973 में पाकिस्तान का नया संविधान बना। 14 अगस्त को भुट्टो प्रधानमंत्री बने।उन्होंने अपनी सरकार में कई आर्थिक सुधार किए, लेकिन 1977 में एक बार फिर सेना ने तख्तापलट किया। जनरल जिया-उल-हक ने भुट्टो को जेल में डाल दिया और मार्शल लॉ लगा दिया। लाहौर हाईकोर्ट ने भुट्टो को हत्या के केस में फांसी की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा।4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

मोहम्मद खान जुनेजो(23 मार्च 1985 से 29 मई 1988): राष्ट्रपति जिया उल-हक ने मोहम्मद खान जुनेजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। तीन साल बाद ही जिया उल-हक और जुनेजो के रिश्ते बिगड़ने लगे।इसके बाद जिया ने जुनेजो को बर्खास्त कर दिया।

बेनजीर भुट्टो (2 दिसंबर 1988 से 6 अगस्त 1990): बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की सबसे युवा और पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

नवाज शरीफ (6 नवंबर 1990 से 18 अप्रैल 1993): बेनजीर भुट्टो की बर्खास्तगी के बाद गुलाम मुस्तफा खान जतोई कार्यकारी प्रधानमंत्री बने। उनके बाद नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। शरीफ का पहला कार्यकाल तीन साल से भी कम रहा। 18 अप्रैल 1993 को गुलाम इशक खान ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नेशनल असेंबली को बहाल कर दिया, लेकिन जुलाई 1993 में शरीफ और राष्ट्रपति खान ने इस्तीफा दे दिया।

बेनजीर भुट्टो(19 अक्टूबर 1993 से 5 नवंबर 1996): 1993 में अप्रैल से अक्टूबर तक राजनीतिक अस्थिरता रही। इस दौरान दो कार्यकारी प्रधानमंत्री भी बने। अक्टूबर में बेनजीर भुट्टो दूसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं। भुट्टो का दूसरा कार्यकाल भी पहले कार्यकाल की तरह ही खत्म हो गया। दूसरे कार्यकाल में भी उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और राष्ट्रपति फारूक अहमद लेघारी ने बर्खास्त कर दिया।

नवाज शरीफ(17 फरवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999): नवाज शरीफ ने बड़ा बहुमत हासिल किया और दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए। शरीफ की आर्मी चीफ जनरल जहांगीर करामात से ठन गई। शरीफ ने उन्हें हटाकर जनरल परवेज मुशर्रफ को आर्मी चीफ नियुक्त कर दिया। मुशर्रफ जब श्रीलंका में थे तब नवाज शरीफ ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।न वाज शरीफ ने उनके विमान को कराची एयरपोर्ट पर उतरने नहीं दिया, लेकिन मुशर्रफ के वफादार अफसरों ने नवाज शरीफ को नजरबंद कर दिया और फिर जेल में डाल दिया। आखिरकार 12 अक्टूबर 1999 को मुशर्रफ ने तख्तापलट कर दिया।

जफरूल्लाह खान जमाली(23 नवंबर 2002 से 26 जून 2004): राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने जफरूल्लाह खान को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।जफरूल्ला मुशर्रफ के पर्सनल सेक्रेटरी थे।जफरूल्ला अक्सर कहा करते थे कि उन्हें मुशर्रफ का पर्सनल सेक्रेटरी होने पर गर्व है।2004 में जफरूल्लाह ने पद छोड़ दिया।बाद में पता चला कि जफरूल्लाह ने मुशर्रफ का भरोसा खो दिया था, जिस कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

चौधरी शुजात हुसैन(30 जून 2004 से 26 अगस्त 2004) जफरूल्ला जमाली के बाद चौधरी शुजात हुसैन प्रधानमंत्री बने।उनका कार्यकाल दो महीने से भी कम रहा।उन्होंने शौकत अजीज को सत्ता सौंप दी।हालांकि, वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने रहे.

शौकत अजीज (28 अगस्त 2004 से 15 नवंबर 2007): शौकत अजीज ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री का पद भी संभाला।नवंबर 2007 में उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा क्योंकि उनका संसदीय कार्यकाल खत्म हो गया।शौकत अजीज पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।हालांकि, ये प्रस्ताव सदन में गिर गया।

सैयद युसुफ रजा गिलानी(25 मार्च 2008 से 25 अप्रैल 2012): करीब 4 महीने तक पाकिस्तान की बागडोर कार्यकारी प्रधानमंत्री मोहम्मद मिलान सूमरो ने संभाली।2008 के चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला।इसके बाद गठबंधन की सरकार बनी और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सैयद युसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री के लिए चुना।उन्हें कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी माना गया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य करार दिया।

राजा परवेज अशरफ(22 जून 2012 से 24 मार्च 2013) पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने फिर राजा परवेज अशरफ को प्रधानमंत्री बनाया।अशरफ पर एक पावर प्रोजेक्ट के मामले में रिश्वत लेने का आरोप लगा।इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

नवाज शरीफ(जून 2013 से 28 जुलाई 2017): 2013 के आम चुनाव में तीसरी बार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए। नवाज शरीफ इकलौते ऐसे नेता हैं जो तीन बार प्रधानमंत्री बने। पनामा पेपर लीक में उनका नाम सामने आने के बाद मुश्किलें बढ़ गईं। सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ पर आजीवन किसी भी सरकारी पद पर आने पर रोक लगा दी। जुलाई 2018 में उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई।

शाहिद खकान अब्बासी (1 अगस्त 2017 से 31 मई 2018): नवाज शरीफ को सजा होने और अयोग्य ठहराए जाने के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने शाहिद खकान अब्बासी को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया। वो 31 मई 2018 तक पद पर रहे।

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