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अगर पुतिन पर चला यूक्रेन के युद्ध अपराधों का मुकदमा, तो जानें क्या होगा अंजाम?

रूस के यूक्रेन पर हमले के समय से वहां हो रही हिंसा और कथित अपराधों को लेकर रूस और पुतिन पर युद्ध अपराध के मुकदमे चल सकते हैं। पर सवाल यह है कि ऐसा होगा कैसे और क्या पुतिन पर यह दोष सिद्ध हो पाएगा।

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सार्वजनिक रूप से 'युद्ध अपराधी' कहा है। हालांकि, कानूनी जानकारों का कहना है कि पुतिन या किसी अन्य रूसी नेता पर मुकदमा चलाना आसान नहीं होगा। इस राह में कई बाधाएं होंगी और इसमें बरसों लग सकते हैं।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

क्या होता है युद्ध अपराध?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

नीदरलैंड्स के द हेग शहर में स्थित 'इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट' यानी ICC इसे ऐसे परिभाषित करता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने जिनेवा कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन 'युद्ध अपराध' कहलाता है। जिनेवा कन्वेंशन में वे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून दर्ज हैं, जिनका युद्ध के समय पालन किया जाता है। जानकार बताते हैं कि अगर कोई देश जान-बूझकर दूसरे देश के नागरिकों को निशाना बनाता है या सेना के ऐसे ठिकानों पर हमला करता है, जहां आम नागरिक ज्यादा हताहत हो सकते हैं, तो इसे कन्वेंशन का उल्लंघन माना जाएगा।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

यूक्रेन और इसके पश्चिमी सहयोगी रूसी सेनाओं पर आम नागरिकों को अंधाधुंध निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं। रूस यूक्रेन पर हमला करने को 'स्पेशल ऑपरेशन' करार दे रहा है। वह आम नागरिकों को निशाना बनाने से इनकार कर रहा है और कह रहा है कि इसका लक्ष्य यूक्रेन को सैन्यीकरण और नाजीवाद के रास्ते पर जाने से रोकना है। रूस का दावा है कि यूक्रेन और सहयोगियों के आरोप बेबुनियाद हैं।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

सोवियत संघ ने 1954 में जिनेवा कन्वेंशन पर सहमति दी थी। फिर 2019 में रूस ने इसके एक प्रोटोकॉल से खुद को अलग कर लिया। हालांकि, वह बाकी समझौतों का हिस्सा बना हुआ है। ICC की स्थापना 2002 में की गई थी। यह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) से अलग है। ICJ संयुक्त राष्ट्र की संस्था है, जो दो देशों के बीच मसलों की सुनवाई करती है।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

किस दिशा में बढ़ सकता है मुकदमा?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

ICC के मुख्य अभियोजक करीम खान बताते हैं कि इस महीने उन्होंने यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों की जांच शुरू की है। रूस और यूक्रेन दोनों ही ICC के सदस्य नहीं हैं और रूस तो इस संस्था को मान्यता भी नहीं देता है। हालांकि, यूक्रेन ने अपनी जमीन पर 2014 तक हुए कथित अत्याचारों की जांच करने को मंजूरी दे दी है। 2014 यानी वह साल, जब रूस ने क्रीमिया को अपने में मिला लिया था।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

वहीं रूस ICC की जांच में सहयोग करने से इनकार कर सकता है। ऐसे में मुकदमा तब तक खिंचेगा, जब तक इस मामले में कोई अभियुक्त गिरफ्तार नहीं हो जाता। अमेरिकन यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर रेबेका हैमिल्टन कहती हैं, "इससे ICC को अपना मुकदमा चलाने और गिरफ्तारी वारंट जारी करने की राह में कोई बाधा नहीं आएगी"।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

पर सुबूत कैसे तय होंगे?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

अगर अभियोजन पक्ष मजबूती से यह दिखा पाए कि युद्ध अपराध किए गए हैं, तो ICC गिरफ्तारी का वारंट जारी कर देगी। जानकार बताते हैं कि ऐसे मामलों में सजा दिलाने के लिए अभियोजन पक्ष को बिना किसी संदेह के यह साबित करना होता है कि अभियुक्त ने वह अपराध किया है। ज्यादातर आरोपों में मंशा साबित करने की जरूरत पड़ती है। अभियोजक के लिए मंशा साबित करने का एक तरीका तो यह होता है कि वह साबित करे कि जिस इलाके में हमला किया गया, वहां कोई सैन्य ठिकाना नहीं था और हमला गलती से नहीं, बल्कि जान-बूझकर किया गया था। हार्वर्ड लॉ स्कूल में विजिटिंग प्रोफेसर एलेक्स वाइटिंग बताते हैं, "अगर ऐसे हमले बार-बार होते हैं और शहरी इलाकों में आम नागरिकों को निशाना बनाने की सोची-समझी रणनीति सामने आती है, तो यह मंशा साबित करने का एक बेहद पुख्ता सुबूत हो सकता है।"

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

किस पर चलाया जा सकता है मुकदमा?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

जानकार बताते हैं कि युद्ध अपराध की जांच के केंद्र में सैनिक, कमांडर और राष्ट्रप्रमुख होते हैं। अभियोजक पक्ष ऐसे सुबूत पेश कर सकता है कि पुतिन या किसी अन्य राष्ट्रप्रमुख ने सीधे तौर पर अवैध हमले का आदेश देकर युद्ध अपराध किया है। ऐसे सुबूत भी पेश किए जा सकते हैं कि राष्ट्रप्रमुखों को ऐसे अपराधों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने की कोशिश नहीं की या रोकने में नाकाम रहे।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

विएना यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय कानून विभाग में लेक्चरर एस्ट्रिड रीसिंगर कोरासिनी बताती हैं कि ICC की टीम के सामने जमीन पर होने वाले अपराधों को ऊपरी नेताओं से जोड़ने वाले सुबूत पेश करने की चुनौती होती है। वह कहती हैं, "बात जितने ऊंचे नेताओं तक पहुंचती है, सुबूतों को उनसे जोड़ना उतना ही मुश्किल होता जाता है।"

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युद्ध अपराध में दोषी ठहराया जाना क्यों होता है मुश्किल?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

कानूनी जानकार बताते हैं कि मारियूपोल के प्रसूति अस्पताल और बच्चों को पनाह देने वाले थिएटर पर में बम विस्फोट युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि, इसमें दोषी को सजा दिलाना मुश्किल होता है। कई मामलों में मंशा साबित करने और खास हमलों को बड़े नेताओं से जोड़ने में एक और चुनौती यह आती है कि अभियोजक पक्ष को सुबूत इकट्ठा करने में बहुत समय लगता है। उन्हें ऐसे गवाहों की गवाही भी चाहिए होता है, जिन्हें कई बार डराया-धमकाया गया होता है या वे खुद ही बात नहीं करना चाहते हैं।

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यूक्रेन के मामले में ICC के अभियोजक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तस्वीरों और वीडियो की मदद लेंगे। हैमिल्टन कहते हैं, "यह किसी भी तरह से तेजी से होने वाला काम नहीं है। इस दिशा में काम होना ही अपने आप में बड़ा संकेत है।" वहीं आरोपितों को कठघरे तक लाना मुश्किल होता है। यह बात करीब-करीब तय मानी जा रही है कि रूस गिरफ्तारी का वारंट मानने से इनकार कर देगा। ऐसे में ICC को संभावित अभियुक्तों पर निगाह रखनी होगा कि वे कब विदेश यात्रा करते हैं, जहां उन्हें गिरफ्तार किया जा सके।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

क्या कहता है अतीत?

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

ICC की वेबसाइट बताती है कि कोर्ट अपनी स्थापना से अब तक 30 मामलों की सुनवाई कर चुकी है। ICC के जजों ने अब तक पांच लोगों को युद्ध अपराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों और नरसंहार के मामलों में दोषी ठहराया है। वहीं चार अन्य लोगों को बरी किया है। 2012 में कोर्ट ने कांगो के सिपहसालार थॉमस लुबंगा डायलो को दोषी ठहराया था। कोर्ट युगांडा में हथियारबंद समूह लॉर्ड्स रेसिस्टेंस आर्मी के मुखिया जोसेफ कोनी समेत कई बड़े आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी किए हैं।

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1993 में संयुक्त राष्ट्र ने बाल्कन युद्धों के दौरान हुए कथित अपराधों की जांच के लिए पूर्व यूगोस्लाविया के लिए अलग इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्राइब्यूनल (ICT) बनाया। 2017 में बंद हुई इस अदालत ने कुल 161 अभियोग जारी किए थे और 90 लोगों को सजा सुनाई थी। लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स टाइलर को संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी। कानूनी जानकार इस बात की संभावना जता चुके हैं कि यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र या एक संधि के जरिए अलग से एक अदालत बनाई जा सकती है।

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

वीएस/आरपी (रॉयटर्स)

Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST

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Published: 22 Mar 2022, 6:25 PM IST