दीवाली का त्योहार आया और फिर से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण लेकर आया। इसके साथ ही ठंड का मौसम भी शुरू हो गया है जिससे प्रदूषण की समस्या बेहद गंभीर हो गयी है। स्थिति यह है कि देश की सर्वोच्च अदालत को दिल्ली के प्रदूषण पर टिप्पणी करनी पड़ी है, जिसके बाद स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया गया है, जबकि सरकारी कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा गया है। हालांकि केंद्र और दिल्ली सरकार प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को जिम्मेदार बता रही हैं। कारण जो भी हो, दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में हर साल नवंबर महीने के बाद प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। जहां भारत में प्रदूषण ने गंभीर रूप ले लिया है, वहीं पड़ोसी देश चीन की राजधानी पेइचिंग और उससे सटे इलाकों में स्थिति बहुत बदल चुकी है। हालांकि कुछ साल पहले तक पेइचिंग का हाल भी बेहद खराब था। साल 2015 में यहां प्रदूषण की स्थिति इतनी गंभीर हो गयी थी कि सरकार को वायु गुणवत्ता पर रेड अलर्ट जारी करना पड़ा था। उस दौरान पूरी दुनिया की मीडिया में चीन में पॉल्युशन संबंधी खबरें छायी रहीं।
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हालांकि, अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। पेइचिंग सहित कई प्रमुख महानगरों में प्रदूषण की स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है। जिसके कारण चीनी नागरिक अकसर नीले आसमान और स्वच्छ हवा का आनंद उठाने लगे हैं। पेइचिंग वासियों को भी पिछले दो-तीन वर्षों से ठंड के मौसम में न के बराबर प्रदूषण या धुंध की परेशानी झेलनी पड़ी है। लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा सोचना भीअसंभव था। मैंने चीन में रहते हुए यह महसूस किया है। असल में, चीन में नवीन ऊर्जा संसाधनों के इस्तेमाल के अलावा हरियाली बढ़ाने और पार्कों की स्थापना करने पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। इसका परिणाम नजर भी आया है।
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हालांकि पेइचिंग में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न तरह के उपाय काफी पहले शुरू हो गए थे। इस दिशा में सबसे बड़ा अभियान 2008 के पेइचिंगओलंपिक से पहले चलाया गया। इसके चलते कारों के लिए सम-विषम के आधार पर चलने का नियम लागू किया गया।
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इसके बाद भी जब प्रदूषण के लेवल में कोई खास फर्क नहीं दिखा, तो पेइचिंग में कोयला चालित हीटिंग सिस्टम पूरी तरह बंद कर दिया गया। इसके बदले अब यहां प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसके लिए चीन सरकार ने अरबों रुपए अतिरिक्त खर्च किए हैं। वहीं फैक्ट्रियों में भी उत्सर्जन संबंधी नियम कड़े कर दिए गए हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पुनरुत्पादित ऊर्जा में भारी निवेश किया जा रहा है।
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साथ ही लाखों पुराने वाहनों को सड़कों से हटा दिया गया है। पुरानी कारों के बदले नई कारें लेने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है। प्रदूषण फैलाने वाली कारों को छोड़ने के लिए दस अरब रुपए की सालाना सब्सिडी दी जाती है। चीन ने प्रदूषण पर जिस तरह से नियंत्रण किया है, उससे भारत सरकार और विभिन्न सरकारी विभागों को सीख लेने की जरूरत है।
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