भारत में जारी आम चुनाव के बीच रिपोर्टर्स विदाउट बॉडर्स ने गुरुवार को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी किया है। साल 2019 के लिए जारी इस वैश्विक रैंकिंग में भारत प्रेस की आजादी के मामले में पिछले साल के मुकाबले इस बार दो पायदान नीचे खिसककर 140वें स्थान पर पहुंच गया है। सूची में प्रेस की आजादी के मामले में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है। रैंकिंग में फिनलैंड दो स्थान की बढ़त हासिल कर दूसरे स्थान पर है, जबकि नीदरलैंड एक स्थान के नुकसान के बाद चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
भारत के पिछड़ने की वजह बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इस समय पत्रकारों के लिए हालात ठीक नहीं हैं। वर्तमान में यहां हिंदुत्व के खिलाफ बोलना खतरनाक हो गया है। भारत में ऐसे पत्रकार जो हिंदुत्व के खिलाफ लिखते या बोलते हैं, उनके खिलाफ संगठित तौर पर हेट कैंपेन की दर काफी चिंताजनक है। कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा गया कि यहां पत्रकारों के लिए हालात मुश्किल बने हुए हैं। इसमें विशेषतौर पर कश्मीर में विदेशी पत्रकारों के जाने पर और इंटरनेट सेवाओं पर रोक का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पत्रकारों के लिए स्थितियां कितनी खतरनाक हैं, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां पत्रकारों के खिलाफ हिंसा में पुलिस अत्याचार, नक्सली हमला और भ्रष्ट नेताओं और अपराधियों के गठजोड़ के हमले भी शामिल हैं। विश्लेषण में कहा गया है कि भारत में लोकसभा चुनावों से पहले सत्ताधारी बीजेपी समर्थकों की तरफ से पत्रकारों पर होने वाले हमलों में इजाफा हुआ है।
दुनियाभर में पत्रकारों पर हमलों का रिकॉर्ड रखने वाला पेरिस स्थित एक गैरसरकारी संगठन रिपोटर्स सैन फ्रंटियर्स (आरएसएफ) के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि भारत में साल 2018 में काम के दौरान 6 पत्रकारों की हिंसक घटनाओं में मौत हो गई थी। रिपोर्ट कहती है कि ये हत्याएं बताती हैं कि भारत में पत्रकारों को कितनी खतरनाक स्थितियों को सामना करना पड़ता है।
भारत के अलावा इस वर्ल्ड रैंकिंग में दक्षिण एशिया से पाकिस्तान तीन स्थान खिसकर 142वें स्थान पर है, जबकि बांग्लादेश चार स्थान खिसकर 150वें स्थान पर है। अफ्रीकी देशों की बात करें तो इस रैंकिंग में इथोपिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 40 स्थानों की छलांग लगाई है और 110वां स्थान हासिल किया है। जबकि जांबिया 30 पायदान की बढ़त के साथ 92वें स्थान पर है। हालांकि, प्रेस की आजादी के मामले में चीन और वियतनाम की स्थिति और खराब हुई है। वियतनाम 176वें और चीन 177वें स्थान पर है। सूची में सबसे अंतिम 180वें स्थान पर तुर्केमेनिस्तान है।
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