भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बनाया है। हालांकि रानिल विक्रमसिंघे का कहना है कि वो अब भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने हुए हैं। विक्रमसिंघे ने खुद को हटाए जाने को गैरकानूनी बताया है। उन्होंने दावा किया कि वो ही पीएम हैं। उन्होंने कहा है कि वह इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे।
Published: 27 Oct 2018, 11:17 AM IST
यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ये फैसला लिया गया है। इसके अलावा गठबंधन सरकार में मंत्री रही यूनाइटेड नेशनल पार्टी के मंगला समरवीरा ने महिंदा राजपक्षे की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राजपक्षे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति असंवैधानिक और गैरकानूनी है। ये लोकतंत्र विरोधी तख्तापलट है। बता दें कि साल 2015 के चुनाव में मैत्रीपाला ने रानिल विक्रमसिंघे की यूएनपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
शुक्रवार शाम राष्ट्रपति सचिवालय में मैत्रीपाला सिरीसेना ने महिंदा राजपक्षे ने नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। राजपक्षे वही हैं, जिनको मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने पिछले राष्ट्रपति चुनावों में हराया था। सिरिसेना ने अपने धुर विरोधी रहे महिंदा को अपनी सरकार में अहम पद देकर सबको चौंका दिया है।
आर्थिक नीतियों और रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाज को लेकर सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमासिंघे के बीच मतभेद थे। विक्रमासिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी 2015 से गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही थी। इस चुनाव में महिंदा राजपक्षे को हार का सामना करना पड़ा था और राष्ट्रपति पद को छोड़ना पड़ा था।
Published: 27 Oct 2018, 11:17 AM IST
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि वह श्रीलंका की घटनाओं पर नजर बनाए हुए है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान जारी कहा, “हम सभी दलों का आह्वान करते हैं कि वे संविधान के मुताबिक कार्य करें। हिंसा से दूर रहें और उचित प्रक्रिया का पालन करें। हम अपेक्षा करते हैं कि श्री लंका की सरकार मानवाधिकार, सुधार, जवाबदेही, न्याय और मेलमिलाप के वादे को पूरा करेगी।”
Published: 27 Oct 2018, 11:17 AM IST
हालांकि, बीते कुछ महीनों में गठबंधन में काफी खींचतान की खबरें आ रही थीं। दोनों ही पार्टियों को फरवरी 2018 में हुए लोकल इलेक्शन में बुरी हार का सामना करना पड़ा था। सिरिसेना के समर्थक अप्रैल में विक्रमसिंघे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आए थे। हालांकि, सरकार गिराने में सफल नहीं हो पाए थे।
बता दें कि राजपक्षे और सिरिसेना की पार्टी को मिलाकर 95 सीट है जो बहुमत से दूर है। विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास 106 सीट है जो बहुमत से महज 7 सीट दूर है। हालाकि, अभी विक्रमसिंघे और उनकी पार्टी यूनाइटेड नैशनल पार्टी ( यूएनपी) की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
Published: 27 Oct 2018, 11:17 AM IST
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Published: 27 Oct 2018, 11:17 AM IST