विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग की भारतीय सांसदों के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसके साथ ही मंत्रालय ने इस मामले को दिल्ली में सिंगापुर के उच्चायुक्त के सामने उठाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि लूंग की टिप्पणी 'अनावश्यक' है।
दो दिन पहले सिंगापुर की संसद में एक बहस में भाग लेते हुए लूंग ने कहा था कि दुनिया भर में राजनीति बदल रही है और राजनीतिक वर्ग में लोगों का विश्वास घट रहा है।
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दरअसल प्रधानमंत्री लूंग ने 'देश में लोकतंत्र को कैसे काम करना चाहिए' विषय पर मंगलवार को संसद में एक जोरदार बहस के दौरान भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा था कि अधिकतर देश उच्च आदशरें और महान मूल्यों के आधार पर स्थापित होते हैं और अपनी यात्रा शुरू करते हैं। हालांकि, अक्सर संस्थापक नेताओं और अग्रणी पीढ़ी से इतर, दशकों और पीढ़ियों में धीरे-धीरे चीजें बदल जाती हैं।
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लूंग ने आगे कहा कि नेहरू का भारत ऐसा बन गया है, जहां मीडिया रिपोटरें के अनुसार, लोकसभा में लगभग आधे सांसदों के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप लंबित हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि इनमें से कई आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
70 वर्षीय राजनेता ने कहा कि सिंगापुर को विरासत में मिली व्यवस्था को हर किसी को बनाए रखना चाहिए और उसका विस्तार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "इसके लिए ईमानदारी को बनाए रखना, मानदंडों और मानकों को लागू करना, समान नियमों को सभी के लिए समान रूप से लागू करना और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।"
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70 वर्षीय राजनेता ने कहा कि सिंगापुर को विरासत में मिली व्यवस्था को हर किसी को बनाए रखना चाहिए और उसका विस्तार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "इसके लिए ईमानदारी को बनाए रखना, मानदंडों और मानकों को लागू करना, समान नियमों को सभी के लिए समान रूप से लागू करना और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।"
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