जर्मनी में एमपॉक्स वायरस के नए वेरिएंट क्लेड 1बी का पहला मामला सामने आया है। हालांकि इससे संबंधित किसी मौत की खबर नहीं है। देश के प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट (आरकेआई) ने यह जानकारी दी।
रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट (आरकेआई) ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट बयान जारी किया। जिसमें कहा, "आरकेआई का वर्तमान आकलन है कि जर्मनी में आम लोगों के लिए इससे ग्रसित होने का जोखिम कम है। हालांकि, संस्थान स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और यदि आवश्यक हुआ तो नवीनतम उपलब्ध जानकारी के आधार पर समय-समय पर आकलन किया जाता रहेगा।"
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संस्थान ने आगे बताया कि मौजूदा जोखिम मूल्यांकन इस तथ्य पर आधारित है कि एमपॉक्स संक्रमण के लिए "निकट शारीरिक संपर्क की आवश्यकता होती है"। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संस्थान ने यह नहीं बताया कि संक्रमण की पहचान कब हुई और न ही मरीज जीरो की पहचान बताई।
आरकेआई ने कहा कि वह मानता है कि इस समय बाजार में उपलब्ध टीके इस नए वेरियंट क्लेड 1 के विरुद्ध प्रभावी हैं।
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ऑर्थोपॉक्स वायरस जनित एमपॉक्स वायरस पहले पश्चिमी और मध्य अफ्रीकी देशों में सबसे ज्यादा फैला था। हालांकि साल 2022 से यह वायरस यूरोप में भी फैलने लगा। एमपॉक्स वायरस के दूसरे स्ट्रेन, क्लेड 2बी से संक्रमण जर्मनी और अन्य देशों में भी पहुंचने की बात सामने आई है। इसी साल अगस्त के मध्य में स्वीडन में अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर क्लेड 1बी एमपॉक्स वेरिएंट के पहले मामले की पुष्टि हुई।
अगस्त में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय मानते हुए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की थी।
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