अमेरिकी सरकार ने रेमडेसिवीर दवा के कोरोना वायरस मरीजों पर आपातकाल प्रयोग की मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में हुई मीटिंग के बाद सरकार की तरफ से इसे हरी झंडी दी गई। सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद दवा बनाने वाली कंपनी गिलेड साइंसेज के चीफ एग्जिक्यूटिव डैनियल ओडे ने कहा है कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी मरीजों की मदद 1.5 मिलियन बॉटल दान में देगी। रेमडेसिविर दवा इबोला के मरीजों के लिए बनाई गई थी। इस बीच अमेरिका में कई अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया के उपचार में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
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अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से शुक्रवार को इसे आधिकारिक मंजूरी मिली है। अब अमेरिकी अस्पतालों में इस दवा का प्रयोग किया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि कंपनी की तरफ से जितनी बॉटल दान में दी गई हैं, वो कम से कम 140,000 मरीजों के लिए काफी होगी। रेमडेसिवीर दवा के ट्रायल में करीब 50 प्रतिशत मरीजों की हालत सुधरी है। इस एंटी-वायरस दवा के ट्रायल में अमेरिका को बड़ी कामयाबी मिली और इसके प्रयोग के बाद मरीजों में कोरोना वायरस की वृद्धि रूक गई है। चीन ने रेमडेसिवीर को ट्रायल के बाद रिजेक्ट कर दिया था।
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अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 65,435 लोगों की मौत हो गई है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की तरफ से ट्रायल के बाद जो आंकड़ें जारी किए गए उसमें नजर आया था कि रेमडेसिवीर दवा के प्रयोग से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 31 प्रतिशत तक की गिरावट हुई थी। ऐसे समय में जब कोरोना वायरस की कोई भी दवा मौजूद नहीं हैं रेमडेसिवीर की तरफ अब कई देश आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।
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बताया जा रहा है कि जिन लोगों को रेमेडेसिविर दवा दी गई उन्हें औसतन 11 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इससे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के एंथनी फॉसी ने बताया था कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर होगी। अभी इस दवा का इस्तेमाल मामूली रूप से बीमार मरीजों पर नहीं किया गया है। एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा का इस्तेमाल करने की पैरवी करते रहे हैं। खबरों के मुताबिक इस दवा से न्यूयॉर्क और कई अन्य स्थानों पर मरीजों का इलाज हुआ है। खबरों के अनुसार मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की शुरुआती चरण के दौरान प्रभावी पाई गई है लेकिन हृदयरोगियों के लिए यह घातक है। ट्रंप के आग्रह पर भारत ने अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की पांच करोड़ गोलियां भेजी थीं। अमेरिका में कोरोना वायरस से मरने वालों की तादाद 65,776 पहुंच गई है। वहीं 11,31,452 लोग अभी भी इससे संक्रमित हैं।
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