कुछ साल पहले तक कोई ये कल्पना भी नहीं कर सकता था कि अलग-अलग देशों के सूरज और चांद भी अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन अब ये संभव है। जी हां, चीन आने वाले दिनों में अपना अलग चांद लॉन्च करने की तैयारी में है। यह कृत्रिम चांद शहर में सड़कों पर रोशनी फैलाएगा, जिससे स्ट्रीटलैंप की जरूरत नहीं रहेगी और बिजली की खासी बचत होगी।
दरअसल चीन अपनी सड़कों को रौशन रखने में होने वाले बिजली के खर्च को घटाना चाहता है।इसके लिए चीन का दक्षिण-पश्चिमी शिचुआन प्रांत ‘इल्यूमिनेशन सेटेलाइट’ यानी प्रकाश उपग्रह विकसित करने में जुटा है। सरकारी समचार एजेंसी चायना डेली के मुताबिक, यह उपग्रह असली चांद जैसा ही चमकेगा लेकिन इसकी रोशनी वास्तविक चांद की तुलना में आठ गुना ज्यादा होगी।कार्यक्रम के मुताबिक इंसान का बनाया पहला चांद शिचुआन के शिचांद सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से छोड़ा जाएगा। अगर यह सफल हुआ तो 2022 में इसी तरह के 3 और चांद अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी उठा रहे तियान फू न्यू एरिया साइंस सोसायटी के प्रमुख वू चुनफेंग ने यह जानकारी दी है। चाइना डेली के साथ एक बातचीत में वू चुनफेंग ने बताया कि पहला चांद तो प्रायोगिक होगा, लेकिन 2022 में लॉन्च होने वाले उपग्रह असल चीज होंगे, जिनमें बड़ी नागरिक और कारोबारी क्षमता होगी।
सूरज से मिलने वाली रौशनी को परावर्तित कर यह उपग्रह शहरी इलाकों से स्ट्रीट लाइट को खत्म कर देंगे। योजना सफल रही तो केवल चेंगदू के 50 वर्ग किलोमीटर के इलाके को रौशन करने भर से ही करीब 17 करोड़ डॉलर की हर साल बचत होगी। रौशनी का यह जरिया आपदा या संकट से जूझ रहे इलाकों में ब्लैकआउट की स्थिति में राहत के कामों में भी बड़ा मददगार होगा। इस कृत्रिम चांद की परियोजना का एलान 10 अक्टूबर को चेंगदू में खोज और उद्यमिता सम्मेलन के दौरान किया गया था।
Published: 20 Oct 2018, 6:29 AM IST
दरअसल चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम से अमेरिका और रूस की बराबरी करना चाहता है और इसके लिए उसने कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक चांग ए- 4 चंद्रयान भी है जो चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा जाने वाला है। चीन में चंद्रमा की देवी को पौराणिक रूप से इसी नाम से बुलाया जाता है। चांद पर खोज करने वाले इस यान को इसी साल भेजने का लक्ष्य है। इसका मकसद चांद की काली सतह का जांच करना है।
चीन कोई पहला देश नहीं है जो सूरज की रौशनी को पृथ्वी पर लाने की कोशिश में जुटा है। इससे पहले 1990 में रूसी वैज्ञानिकों ने एक विशाल आईने की मदद से अंतरिक्ष से आने वाली रौशनी को परावर्तित करने की कोशिश की थी।
Published: 20 Oct 2018, 6:29 AM IST
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Published: 20 Oct 2018, 6:29 AM IST