कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी पड़ोसियों के प्रति अपनी आक्रामकता को जारी रखते हुए चीन ने एक बार फिर भूटान स्थित सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर दावा ठोंका है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि चीन और भूटान के बीच सीमा का अभी तक सीमांकन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, "चीन की स्थिति लगातार स्पष्ट बनी हुई है। चीन और भूटान के बीच सीमा को सीमांकित नहीं किया गया है और मध्य, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में विवाद हैं।" उन्होंने कहा कि चीन विवाद को सुलझाने के लिए 'एक समाधान पैकेज' पेश कर रहा है। वह इन विवादों को कतई बहुपक्षीय मंचों पर नहीं उठाना चाहता।
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हालांकि, चीन ने पूर्वी भूटान के ट्रशिगांग जिले में भारत और चीन की सीमा से लगे अभयारण्य का मुद्दा इस साल जून में ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी (जीईएफ) की एक वर्चुअल बैठक में उठाया था। चीन ने अभयारण्य के लिए अनुदान पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि यह स्थान विवादित है। परिषद ने चीन की आपत्ति के कारण को दर्ज करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि फुटनोट में केवल यह रिकॉर्ड होगा कि चीन ने परियोजना पर आपत्ति जताई है।
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भूटान सरकार ने परिषद के सत्र के दस्तावेजों में सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर भूटान और उसके क्षेत्र की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाले संदर्भों का पुरजोर विरोध करते हुए जीईएफ परिषद को एक औपचारिक पत्र जारी किया था। भूटान ने जीईएफ परिषद से दस्तावेजों से चीन के आधारहीन दावों के सभी संदर्भों को निकालने का आग्रह किया है।
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भूटान और चीन के बीच 1984 से सीमा विवाद है। थिम्पू और बीजिंग के बीच वार्ता विवाद के तीन क्षेत्रों (उत्तरी भूटान में दो जकार्लुंग और पसमलंग क्षेत्रों में और एक पश्चिम भूटान में) सीमित रही है। सकतेंग इन तीनों विवादित क्षेत्रों में से किसी का हिस्सा नहीं है।
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जबकि बाकी दुनिया चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर से उठी कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों से जूझ रही है, ऐसे में भी चीन ईस्ट चाइना सी, साउथ चाइना सी और भारत को उसके लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश में लगातार उकसा रहा है। हालांकि भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव में कुछ कमी आई है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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