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दुनिया की बड़ी खबरेः नहीं बचा कोरोना से आगाह करने वाला डॉक्टर और भारत में सीएए को लेकर अमेरिका चिंतित

कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में सबसे पहले आगाह करने वाले चीन के डॉक्टर ली वेनलियांग की गुरुवार को वुहान में बीमारी से लंबी जंग के बाद मौत हो गई। उधर अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून के बाद के घटनाक्रमों पर चिंता जताई है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

नहीं बचा कोरोना से आगाह करने वाला डॉक्टर

चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में सबसे पहले आगाह करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की गुरुवार को वुहान में बीमारी से लंबी जंग के बाद मौत हो गई। डॉक्टर ली कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को आगाह करने वाले सबसे पहले लोगों में थे। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, 34 वर्षीय ली उन आठ व्हिसलब्लोअर्स में से एक थे, जिन्होंने कोरोना वायरस के बारे में अन्य डॉक्टरों को आगाह करने की कोशिश की थी।

डॉक्टर ली ने पिछले साल दिसंबर में वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने पर इस वायरस के बारे में रिपोर्ट तैयार की थी। इस बारे में उन्होंने अपने मेडिकल स्कूल के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी थी। उन्होंने अपने कई दोस्तों को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को गोपनीय तरीके से इसके बारे में आगाह करने को कहा था। हालांकि इसके कुछ ही घंटों में उनके संदेश का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया था। इस पर वुहान पुलिस ने उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया था।

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भारत में सीएए के बाद के घटनाक्रम पर अमेरिका चिंतित

अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि भारत के नागरिकता संशोधन कानून और इससे जुड़ें घटनाक्रमों से अमेरिका चिंतित है और इससे निपटने में वह भारत की मदद करना चाहेगा। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने भारत में जो कुछ चल रहा है, उसे लेकर वहां के अधिकारियों से मुलाकात की और चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर जगहों पर हम शुरुआती कदम के तहत पेशकश करते हैं कि हम इश मुद्दे को लेकर आपकी क्या मदद कर सकते हैं, जिसमें कोई धार्मिक उत्पीड़न ना हो। हालांकि भारत द्वारा इस मदद के प्रस्ताव पर विचार करने की संभावना नहीं है क्योंकि वह अपने आंतरिक मामलों में विदेशी दखल को स्वीकार नहीं करता।

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महाभियोग के आरोपों से ट्रंप को बड़ी राहत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी सीनेट ने दो हफ्ते तक चले ट्रायल के बाद उनके खिलाफ लगे महाभियोग के आरोपों को खरिज कर दिया। ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन के बहुमत वाले सीनेट ने पद के दुरुपयोग के आरोपों में लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को 48 के मुकाबले 52 मतों से खारिज कर दिया।

भले सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव खारिज हो गया हो, लेकिन ट्रंप के खिलाफ डैमोक्रेटिक पार्टी की अगुआई में चल रही जांच जारी रहेगी। महाभियोग पर फैसला आने के बाद ट्रंप ने कांग्रेस के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि देश एक बार फिर बेहद सम्मानजनक तरीके से आगे बढ़ रहा है। अपने करीब एक घंटे के संबोधन में ट्रम्प ने कहा कि देश आज उस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, जिसकी कुछ समय पहले तक कल्पना करना मुश्किल था।

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पाक सेना के पूर्व प्रवक्ता का एक्सीडेंट, हालत गंभीर

पाकिस्तान सेना के पूर्व प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर की कार का एक्सीडेंट हो गया है। उनके साथ कार में उनकी पत्नी भी मौजूद थीं। हादसे के बाद दोनों को लाहौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि बाद में दोनों को बेहतर इलाज के लिए सऊदी अरब भेज दिया गया है। मेजर जनरल आसिफ गफूर को हाल ही में पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता पद से हटाया गया है। उनकी जगह मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार को नया प्रवक्ता बनाया गया है। गफूर का तबादला 40वीं इन्फैंट्री डिवीजन (ओकारा) के जीओसी के पद पर किया गया है।

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अमेरिका की 'डील ऑफ द सेंचुरी' के खिलाफ ट्यूनीशिया में प्रदर्शन

मध्य पूर्व के लिए अमेरिका द्वारा हाल ही में पेश की गई शांति योजना के खिलाफ ट्यूनीशिया की राजधानी ट्यूनिश में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। इस योजना को 'डील ऑफ द सेंचुरी' के नाम से भी जाना जाता है। प्रदर्शनकारियों में सिविल सोसायटी, पेशेवर संगठनों और राजनीतिक दलों के साथ-साथ स्वतंत्र कार्यकर्ता भी शामिल थे। प्रदर्शन के आयोजक ट्यूनीशियन जनरल लेबर यूनियन के महासचिव नौरेडाइन तबौबी ने कहा, "फिलिस्तीन ना बिक्री के लिए है और ना कभी होगा। उन्होंने 'यहूदी देश से संबंध रखने वाले सभी लोगों को अपराधी श्रेणी में रखने का आवाह्न करते हुए इजरायल को अरब दुनिया के करीब लाने के सभी प्रयासों की निंदा की।

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28 जनवरी को वाशिंगटन में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की उपस्थिति में एक शांति योजना की घोषणा की थी। इस अमेरिकी शांति योजना के तहत इजरायल-फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया में विवादित पवित्र शहर जेरूशलम को इजरायल की अविभाजित राजधानी का दर्जा दिया गया है। वहीं इस डील में फिलिस्तीन की राजधानी पूर्वी जेरूशलम के बाहरी क्षेत्र में मानी गई है।

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