दुनिया भर के कई देशों में कोविड-19 संक्रमण के घटते मामलों को देखकर प्रतिबंधों को हटाये जाने के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि कोरोना संकट अभी टला नहीं है।
गत दो साल के दौरान कोरोना संक्रमण के कारण दुनिया भर में 60 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 50 करोड़ से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।
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डब्ल्यूएचओ के निदेशक ट्रेडोस एदनम गेबरियसस ने कहा, वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के मामले और इसके कारण होने वाली मौतों के मामले घटे हैं और कई देशों ने प्रतिबंध भी हटा लिये हैं लेकिन यह महामारी अभी खत्म नहीं हुई है।''
उन्होंने कहा कि यह कहीं भी तब तक पूरी तरह खत्म नहीं हो सकता है, जब तक यह सब जगह पूरी तरह खत्म न हो जाये। एशिया और प्रशांत के कई देशों में कोरोना संक्रमण और संक्रमण के कारण होने वाली मौतों के मामले बढ़ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा कि यह वायरस लगातार रूप बदल रहा है और हमारे सामने वैक्सीन के वितरण, परीक्षण और उपचार में कई बाधायें हैं।
डब्ल्यूएचंो ने इस बात की भी चिंता जतायी कि कई देशों में कोरोना का परीक्षण बहुत तेजी से घट रहा है। डब्ल्यूएचओ ने पेशेवर परीक्षण के अलावा स्वयं परीक्षण करने की भी सलाह दी है।
संयुक्त राष्ट्र के महानिदेशक एंटोनियो ग्यूटरेस ने भी डब्ल्यूएचओ प्रमुख के आंकलन का समर्थन किया है। उन्होंने एक वक्तव्य जारी करते हुये कहा है कि यह सोचना बहुत बड़ी गलती होगी कि वायरस बहुत पीछे छूट गया है। उन्होंने फिर दोहराया कि वैक्सीन का बंटवारे में बहुत भेदभाव है।
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संरा प्रमुख ने कहा कि वैक्सीन निर्माता डेढ़ अरब डोज हर माह बना रहे हैं लेकिन अब भी तीन अरब लोग अपनी पहली डोज का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने इसके लिये नीतिगत असफलता को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ये अमीर देशों के लोगों के स्वास्थ्य को गरीब देशों के लोगों से अधिक तरजीह देने के कारण है।
उन्होंने कहा कि यह हमारी दुनिया के लिये नैतिकता पर एक धब्बा है और साथ ही यह कोरोना के अधिक वैरिएंट के सिर उठाने, अधिक लॉकडाउन करने और हर देश में इसके कारण और अधिक दुख तथा बलिदान की वजह बनेगा।
ग्यूटरेस ने इस साल के मध्य तक दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने पर जोर दिया।
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