पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में समूह की नई सरकार बनाने को लेकर तालिबान के नेताओं के बीच एक बड़ा विवाद छिड़ गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और एक कैबिनेट सदस्य के बीच राष्ट्रपति भवन में बहस हुई। हाल के दिनों में बरादर के गायब होने के बाद से तालिबान के नेतृत्व में असहमति की अपुष्ट खबरें आई हैं। तालिबान के एक सूत्र ने बीबीसी पश्तो को बताया कि बरादर और खलील उर-रहमान हक्कानी( शरणार्थियों के मंत्री और आतंकवादी हक्कानी नेटवर्क के भीतर एक प्रमुख व्यक्ति) के बीच तीखी बहस हुई, क्योंकि उनके अनुयायी एक-दूसरे के साथ विवाद कर रहे थे। तालिबान के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि बरादर ने काबुल छोड़ दिया और विवाद के बाद कंधार शहर भाग गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कतर में स्थित तालिबान के एक वरिष्ठ सदस्य और इसमें शामिल लोगों से जुड़े एक व्यक्ति ने भी पुष्टि की कि पिछले सप्ताह के अंत में एक बहस हुई थी। सूत्रों ने कहा कि बहस इसलिए छिड़ गई क्योंकि नए उप प्रधानमंत्री बरादर अपनी अंतरिम सरकार के ढांचे से नाखुश थे। यह कहा गया है कि यह विवाद इस बात से उपजा है कि तालिबान में से किसे अफगानिस्तान में अपनी जीत का श्रेय लेना चाहिए।
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अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद अलकायदा सिर उठा सकता है। अमेरिका के दो खुफिया अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि एक या दो साल के अंदर अमेरिका पर हमला हो सकता है। इंटेलीजेंस कॉन्फ्रेंस में डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी के चीफ ले। जनरल स्कॉट बेरियर ने कहा कि एक या दो साल में आतंकी संगठन अलकायदा अमेरिका को धमकी देने के काबिल हो जाएगा। सीआईए के डिप्टी डायरेक्टर डेविड कोहेन ने कहा कि अमेरिका ने पहले ही अफगानिस्तान में अलकायदा की हरकतों का पता लगा लिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि ये बताना मुश्किल है कि वह कब तक हमला करने के लिए तैयार हो जाएगा। बता दें कि अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने से पहले भी इसी तरह की खुफिया चेतावनी दी जाती रही हैं। प्रेसीडेंट बाइडेन ने भी अफगानिस्तान छोड़ने के फैसले पर अपनी सफाई देते हुए इसे स्वीकारा था कि अलकायदा वापसी करेगा। वहीं, खुफिया एक्सपर्ट्स भी कई बार चेतावनी दे चुके हैं कि तालिबान के अल कायदा से संबंध हैं। हालांकि कोहेन ने स्पष्ट नहीं किया कि क्या अलकायदा के आतंकी अफगानिस्तान में वापस आ चुके हैं या नहीं। नेशनल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर एवरिल हेन्स ने कहा कि अमेरिका को सबसे ज्यादा खतरा विदेशी आतंकियों से है, जो यमन, सोमालिया, सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से आते हैं। लेकिन अमेरिकी फौजों के दो दशक तक अफगानिस्तान में रहने से वह इस लिस्ट में सबसे नीचे है। हमारा फोकस बाकी के देश होने चाहिए।
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महामारी वर्ष 2020 के दौरान इटली के पर्यटन उद्योग के लिए अंतिम आधिकारिक आंकड़े आने वाले हैं और देश के राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसएटीएटी) के अनुसार, कोरोनावायरस से जो गिरावट आई है, वो प्रबल है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसटीएटी द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी आगंतुकों के रात भर ठहरने में पिछले साल 54।6 प्रतिशत की गिरावट आई है। घरेलू पर्यटकों के रात में प्रवास में कम गिरावट आई, लेकिन 2019 की तुलना में अभी भी 32।2 प्रतिशत की कमी आई है। सभी ने बताया, आईएसटीएटी ने अनुमान लगाया कि विदेशी पर्यटकों ने पिछले साल इटली में 23।7 अरब यूरो (28।1 अरब डॉलर) खर्च किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 35 अरब यूरो कम है। पिछले साल पर्यटन में गिरावट अकेले 2020 में अतिरिक्त मूल्य में लगभग एक चौथाई गिरावट के लिए जिम्मेदार थी। मार्च 2020 में कोरोनावायरस महामारी ने इटालियन पर्यटन पर व्यापक प्रभाव डालना शुरू कर दिया, जिसका मतलब है कि पहले दो महीने पिछले वर्षों से कम या ज्यादा ट्रैक किए गए स्तर।
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अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी के साथ तालिबान की क्रूरता जारी है। तालिबान अपने विरोधियों से चुन-चुनकर बदला ले रहा है। राजधानी काबुल में अफगान मूल के एक भारतीय नागरिक को बंदूक की नोक पर उसकी दुकान के पास से अगवा कर लिया गया। माना जा रहा है कि तालिबानियों ने ही भारतीय नागरिक को किडनैप किया है। हालांकि, इस घटना को लेकर अब भारत सरकार से संपर्क साधा गया है। न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक, इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफगान हिंदू-सिख समुदाय द्वारा जानकारी दी गई है कि अफगान मूल के एक भारतीय नागरिक बंसरी लाल अरेन्दे (50) को काबुल स्थित उसकी दुकान के पास से सोमवार को सुबह लगभग आठ बजे अगवा कर लिया गया।
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सऊदी अरब के मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून को मंजूरी दे दी। सऊदी डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अथॉरिटी (एसडीएआईए) ने घोषणा की कि नया कानून व्यक्तिगत डेटा को बिना सहमति के संग्रह और प्रसंस्करण से बचाता है। इसे छह महीने के भीतर लागू किया जाना है। सऊदी गजट ने बताया कि इसे किसी भी व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए भी नामित किया गया है, जिससे उपयोगकर्ता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बिना सहमति के संग्रह और प्रसंस्करण से पहचाना जा सकता है। डेटा में नाम, पहचान संख्या, पता, फोन नंबर, व्यक्तिगत रिकॉर्ड, वित्तीय रिकॉर्ड और छवियां, वीडियो या कोई अन्य पहचान डेटा शामिल हैं। नया कानून व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करेगा, व्यक्तिगत डेटा के साझाकरण को नियंत्रित करेगा और व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को रोकेगा। एसडीएआईए के प्रमुख अब्दुल्ला अल-गम्दी ने कहा कि कानून विशिष्ट नियंत्रणों के अनुसार व्यक्तिगत डेटा के प्रकटीकरण की प्रक्रिया को व्यवस्थित करेगा जो इसका इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करता है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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