पेशावर में एक शिया मुस्लिम मस्जिद को निशाना बनाकर किए गए विनाशकारी आत्मघाती बम विस्फोट ने पाकिस्तान में खूंखार इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) आतंकी समूह के फिर से उभरने का संकेत दिया है।
आईएस-के ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें एक आत्मघाती हमलावर ने जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में घुसकर विस्फोटक के साथ खुद को उड़ा लिया, जिसमें कम से कम 63 लोगों की जान चली गई और 200 से अधिक घायल हो गए।
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST
इसने यह भी दावा किया कि तालिबान के अधिग्रहण के बाद विदेशी बलों की निकासी प्रक्रिया के दौरान काबुल हवाई अड्डे के ठीक बाहर आतंकी हमला जारी रहे हैं और साथ ही साथ अफगानिस्तान में मस्जिदों और अन्य स्थानों पर हो रहे हमले मौजूदा शासन का सबसे बड़ा विरोध बनकर सामने आया है।
पाकिस्तान अफगान तालिबान के साथ परामर्श की प्रक्रिया पर रहा है और दोनों देशों की सीमा पर सक्रिय संगठनों से आतंकवादी खतरों का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त रणनीति की दिशा में काम कर रहा है।
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST
पेशावर में हमला ऐसे समय में हुआ है, जब देश के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने इस साल 19 जनवरी को एक पुलिस मुठभेड़ के दौरान बिलाल खान नाम के एक आईएस-के कमांडर को मार गिराया था।
ऐसा माना जाता है कि कमांडर की हत्या ने आतंकवादी समूह से जुड़े कई स्लीपर सेल को सक्रिय कर दिया, जिन्होंने एक बड़े आत्मघाती हमलों का जवाब देने की योजना बनाई।
ऐसा माना जाता है कि बिलाल खान, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का सदस्य था, 2015 में आईएस में शामिल हो गया था और उसने समूह के मारे गए नेता अबू बकर अल-बगदादी के प्रति निष्ठा का वचन दिया था।
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST
विशेषज्ञों का मानना है कि आईएस-के सहित आतंकी तत्वों के खिलाफ पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खुफिया-आधारित अभियानों से न केवल लक्षित हमलों में वृद्धि हुई है, बल्कि पेशावर में अफगान तालिबान के समर्थक भी घातक हमलों की चपेट में आ गए हैं।
पेशावर में आईएस-के का उदय पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए बड़ी चिंता और चुनौतियों का कारण बन गया है, क्योंकि पड़ोसी अफगानिस्तान विभिन्न हिस्सों में आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए तलाशी अभियान चला रहा है।
कुछ रिपोटरें से यह भी संकेत मिलता है कि कई आईएस-के आतंकवादी पहले ही अफगानिस्तान से भाग चुके हैं और पाकिस्तान में प्रवेश कर चुके हैं, जबकि समूह के स्लीपर सेल भी सक्रिय हो गए हैं।
यही वजह है कि पाकिस्तान में आतंकी हमलों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज (पीआईपीएस) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में पाकिस्तान में आतंकवाद की कम से कम 207 घटनाएं हुईं, जो 2020 की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक है।
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST
टीटीपी देश के विभिन्न हिस्सों में लक्षित हमलों को भी अंजाम दे रहा है, जिससे पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने कहा कि आतंकवाद की एक नई लहर देश में आई है, जहां टीटीपी रक्षा की पहली पंक्ति को तोड़ने के उद्देश्य से प्रमुख शहरों में पुलिसकर्मियों को निशाना बना रही है।
आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है और इस बीच कई लोगों का मानना है कि आईएस-के टीटीपी से कहीं अधिक बड़ी समस्या बन सकता है।
टीटीपी के साथ बातचीत पाकिस्तानी सरकार के एजेंडे में बनी हुई है और यह आशंका है कि टीटीपी आतंकियों के बीच असहमति, साथ ही इस्लामाबाद के साथ एक समझौता, उन्हें आईएस-के में शामिल होने की ओर धकेल सकता है।
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 07 Mar 2022, 10:56 PM IST