उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अभी से साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी दिख तो रही है, लेकिन कभी योगी के करीबी रहे चार लोग ही पलीते में आग लगा रहे हैं। इनमें से एक अब बीजेपी में नहीं हैं, लेकिन कई अंदरूनी जानकारी रखते हैं इसलिए योगी भी सांसत में हैं।
छह बार के बीजेपी विधायक डाॅ. राधा मोहनदास अग्रवाल और एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के पैतरों ने योगी की पेशानी पर बल डाल रखा है। डाॅ. अग्रवाल गोरखपुर शहर से विधायक हैं। वे आरएमडी नाम से जाने-पहचाने जाते हैं। प्रदेश की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवप्रताप शुक्ला के बढ़ते कद से नाराज योगी आदित्यनाथ ने 2002 में डाॅ. अग्रवाल को विधानसभा चुनाव में उतारकर विरोध का बिगुल फूंक दिया था।
चुनाव में डाॅ .अग्रवाल की जीत हुई और तब योगी ने यह संदेश दिया था कि वही पूर्वांचल में ब्राह्मण विरोध के ध्वज वाहक हैं। योगी जब सीएम बने, तो माना जा रहा था कि डाॅ. अग्रवाल को अहम मंत्रालय मिलेगा। लेकिन छह बार से विधायक होने के बावजूद वह राज्यमंत्री तक नहीं बन पाए, जबकि पहली बार विधायक बने सतीश द्विवेदी को बेसिक शिक्षा मंत्री बना दिया गया।
Published: undefined
इसलिए डाॅ. अग्रवाल की खुन्नस स्वाभाविक ही है। वह पिछले दो वर्षों से बागी तेवर में हैं। वह कभी महिला आईपीएस चारु निगम से शराब की दुकान हटाने को लेकर भिड़ते नजर आते हैं, तो कभी उनकी गालियों से नाराज जल निगम के इंजीनियर सामूहिक अवकाश पर जाने को मजबूर दिखते हैं। डाॅ. अग्रवाल फोरलेन, सीवर लाइन, नाला निर्माण, सड़क निर्माण, जलभराव को लेकर गोरखपुर में चल रही योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं। उनकी वजह से जीडीए, जल निगम, बिजली निगम से लेकर पीडब्ल्यूडी के काम की जांच हो रही है।
उन्होंने पिछले दो वर्षों में 25 से अधिक बार कठघरे में खड़ा करने वाले सवालों से सरकार को विधानसभा में मुश्किलों में डाला है। गोरखपुर में अंडरग्राउंड केबल बिछाने में करोड़ों रुपये के गोलमाल के मामले में तो खुद मुख्यमंत्री को बिजली निगम के इंजीनियरों को निलंबित करना पड़ा। वैसे, आरएमडी का एक ही मासूम-सा तर्क होता हैः “लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता दल का विधायक होने के चलते मेरा दायित्व विभिन्न योजनाओं की माॅनिटरिंग करना है। सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जो काम मुझे करना चाहिए, वह कर रहा हूं। यह काम स्थानीय जनप्रतिनिधि को तो करना ही चाहिए।”
Published: undefined
वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते भी हैं कि डाॅ. अग्रवाल भले ही योगी के आशीर्वाद से जीते हों, लेकिन दोनों के संबंधों में सहजता नहीं है। अपनी ही सरकार के खिलाफ यदि 200 से अधिक विधायक धरना देने लगें तो निहितार्थ समझ ही लेना चाहिए।
कभी एसपी में रहते हुए एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह योगी को लेकर हमलावर थे। उन्होंने मठ को लेकर तमाम आपत्तिजनक बातें कहीं थीं। पर, विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उनके सुर बदले जिसका इनाम भी उन्हें मिला। इस समय वह बीजेपी में हैं और अब भी एमएलसी हैं। लेकिन वह पुलिस उत्पीड़न के शिकार लोगों से मिलकर विरोधी तेवर दिखा रहे हैं। पिछले दिनों एसपी नेता रामदरश विद्यार्थी की गिरफ्तारी पर देवेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि हिस्ट्रीशीटर और पुलिस की साजिश में निर्दोष को जेल भेजा जा रहा है।
Published: undefined
इसी तरह जिले के खड्डा विधानसभा से बीजेपी विधायक जटाशंकर त्रिपाठी का फेसबुक पोस्ट ही बीजेपी के प्रति उनके नजरिये को बताता है। वहीं, कभी योगी आदित्यनाथ के हनुमान कहे जाने वाले सुनील सिंह अब एसपी में हैं। वह अब यहां तक कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ उस रावण की तरह के भगवाधारी हैं, जिसने मां सीता का हरण करने के लिए भगवा वस्त्र धारण किया था। योगी आदित्यनाथ युवाओं, किसानों, नौजवानों के सपनों का हरण कर रहे हैं।
विरोध के प्रतीक बने डॉ. कफील
डाॅ. कफील तो पहले से ही योगी के विरोध के प्रतीक बन चुके हैं। पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में हुए ऑक्सीजन कांड के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर ऑक्सीजन सिलिंडरों की सप्लाई में धोखाधड़ी का आरोप था। पर पुलिस इसे जस्टिफाई नहीं कर पाई और वह जेल से बाहर आ गए। पिछले दो साल में डाॅ. कफील केरल से लेकर बिहार और जेएनयू से लेकर जामिया तक के मामले में अपनी सक्रियता को लेकर सुर्खियों में हैं। वह कहते हैं कि सरकार सच सुनना और देखना नहीं चाहती है। बीजेपी भले ही कितने उत्पीड़न कर ले, जीत सत्य की ही होगी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined