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बीजेपी नेता की खुली धमकी, सरकार बनी तो पश्चिम बंगाल में भी लाएंगे एनआरसी

पूर्वोत्तर राज्य असम में एनआरसी के अंतिम मसौदे में 40 लाख लोगों के नाम नहीं जोड़े जाने पर उठे विवाद के बीच बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि राज्य में उनकी पार्टी की सरकार आने पर वहां भी एनआरसी लागू किया जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष

सोमवार को पूर्वोत्तर राज्य असम में जारी किये गए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के अंतिम मसौदे को लेकर राजनीतिक शुरू हो गई है। असम में जारी एनआरसी को लेकर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में भी इसे लागू करने और इसी के तर्ज पर नागरिकों का पंजीकरण करने की बात कही है। असम में एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी होने के बाद बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अगर राज्य में उनकी पार्टी की सरकार आती है तो असम की तरह ही बंगाल में भी एनआरसी लागू किया जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार दिलीप घोष ने अपने बयान में कहा, “अगर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनती है तो हमलोग यहां एनआरसी लागू करेंगे। हम यहां रह रहे अवैध नागरिकों को बांग्लादेश वापस भेजेंगे। हमलोग किसी अवैध प्रवासी को पश्चिम बंगाल में नहीं बर्दाश्त नहीं करेंगे।” असम में जारी किये गए एनआरसी के अंतिम मसौदे के समर्थन में उन्होंने कहा कि कुछ नेता इस पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी 'वोट बैंक' की राजनीति के खत्म होने का डर है। घोष ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश से असम में एनआरसी लागू किया गया है। जो लोग भी अवैध प्रवासियों का समर्थन करते रहे हैं, उन्हें भी देश से निकाल दिया जाएगा।”

गौरतलब है कि असम में सोमवार को एनआरसी का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी किया गया, जिसमें वहां दशकों से रह रहे 40 लाख बांग्लाभाषियों के नाम शामिल नहीं किये गए हैं। एनआरसी में पंजीकरण के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवदन किया था, लेकिन अंतिम मसौदे में 2.89 करोड़ लोगों के ही नाम शामिल किये गए, जबकि करीब 40 लाख लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। असम देश का एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां एनआरसी जारी किया गया है।

Published: 30 Jul 2018, 9:26 PM IST

बता दें कि असम में एनआरसी के अंतिम मसौदे में बड़ी संख्या में वहां दशकों से रह रहे लोगों को शामिल नहीं किये जाने का पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि कई लोगों के पास आधार कार्ड और पासपोर्ट होने के बावजूद उनका नाम मसौदे में शामिल नहीं किया गया है। यहीं नहीं कई लोगों के पास सही दस्तावेज होने के बावजूद उनके नाम ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरनेम देखकर लोगों के नाम एनआरसी ड्राफ्ट से बाहर कर दिए गए हैं।

हालांकि एनआरसी पर विवाद खड़ा होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा दिया कि अंतिम मसौदे में जिनके नाम शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होगी। और उन्हें अपने नाम शामिल करीने के लिए मौका दिया जाएगा। एनआरसी के संयोजक प्रतीक हाजेला ने भी इसी बात को दोहराया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम इस सूची में शामिल नहीं हैं, वे एक अगस्त से 28 सितंबर के बीच अपने दावे और आपत्तियां जमा कर सकते हैं। 28 सितंबर के बाद उन पर विचार किया जाएगा।

Published: 30 Jul 2018, 9:26 PM IST

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Published: 30 Jul 2018, 9:26 PM IST