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'मोदी सरकार के झूठे वादों और प्रचार की पोल खोलेंगे किसान', SKM का किसान-मजदूर जनजागरण अभियान शुरु करने का ऐलान

एसकेएम के मुताबिक, यह अभियान मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-परस्त विकास की कहानी और प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आर्थिक असमानता, और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करने के कारण जनता के शोषण और पीड़ा को उजागर करेगा।

SKM का किसान-मजदूर जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है।
SKM का किसान-मजदूर जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है। 

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मोदी सरकार के खिलाफ एकबार फिर से मोर्चा खोल दिया है। किसान मोर्चा ने किसान-मजदूर जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान किया है। इसके तहत घर-घर जाकर लोगों को सरकार के झूठे वादे और झूठे प्रचार के बारे में बताया जाएगा। यह अभियान 10 से 20 जनवरी 2024 तक चलाया जाएगा। एसकेएम ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। इसमें बताया गया है कि कॉर्पोरेट विकास पर मोदी सरकार के झूठे प्रचार का जवाब दिया जाएगा। एसकेएम का लक्ष्य भारत के 30.4 करोड़ घरानों में से 40% घरों तक पहुंचने का लक्ष्य है।

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 संयुक्त किसान मोर्चा लोगों को घरों में एक पत्रक वितरित करेगा जिसमें देश में लंबे समय से चल रहे भयानक कृषि संकट और इस संकट का किसानों, कृषि श्रमिकों, श्रमिकों और युवाओं पर प्रभाव के बारे में बताया गया है। अभियान के जरिए कृषि संकट को दूर करने, किसानों और श्रमिकों के लिए अधिक आय और स्थिर रोजगार सुनिश्चित करने, रोजगार पैदा करने के लिए कॉर्पोरेट मुनाफाखोरी और लूट को रोकने, न्यूनतम मजदूरी और न्यूनतम समर्थन मुल्य के माध्यम से श्रमिकों और किसानों के लिए पर्याप्त आय सुनिश्चित करने के लिए विकास की वैकल्पिक नीति अपनाने के महत्व को समझाने की कोशिश होगी।

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एसकेएम कार्यकर्ता गांवों और कस्बों में घर-घर जाएंगे, नोटिस और अन्य अभियान सामग्री वितरित करेंगे और 24 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में प्रथम अखिल भारतीय मजदूर-किसान सम्मेलन में अपनाई गई मांगो के चार्टर में किसानों और श्रमिकों की ठोस मांगो को हासिल करने के लिए आगामी संघर्ष में बड़े पैमाने पर समर्थन और भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

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एसकेएम के मुताबिक, इस अभियान का लक्ष्य भारत के 30.4 करोड़ घरानों में से 40% घरानों तक पहुंचना है। यह अभियान मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-परस्त विकास की कहानी और प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, बढ़ती आर्थिक असमानता, और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित करने के कारण जनता के शोषण और पीड़ा को उजागर करेगा। एसकेएम का कहना है कि केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने भी जन जागरण अभियान से जुड़ने का निर्णय लिया है।

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