लोकसभा में तीन तलाक का बिल पास हो चुका है और इसे अब राज्यसभा की परीक्षा से गुजरना है। लेकिन यह सवाल सबके मन में है कि बिल में कुछ खामियों के बावजूद बीजेपी इस बिल को लेकर इतनी उतावली क्यों है। वैसे लोकसभा में बहस के दौरान 8 राज्यों के 9 दलों ने इस बिल या उससे जुड़े प्रावधानों का विरोध किया। वजह साफ है, और वह है इन राज्यों की मुस्लिम बहुल सीटें और मुस्लिम वोटर। इन 8 राज्यों में 474 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां का फैसला मुस्लिम वोटरों के हाथों में हैं।
सबसे पहले देखिए कि किस राज्य की किस पार्टी ने इस बिल का विरोध किया।
अब जरा इन राज्यों में विधानसभा सीटों का गणित समझ लीजिए। नीचे दी गई तालिका से इसे समझा जा सकता है।
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अब जरा इन राज्यों में मुस्लिम आबादी और मुस्लिम वोटरों पर भी नजर डालते हैं:
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देश की कुल लोकसभा सीटों में से 145 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान वोटरों की संख्या 11 से 20 फीसदी के बीच है। इसके अलावा 38 सीटों पर मुस्लिम वोटर 21 से 30 फीसदी तक हैं। वहीं 35 सीटों पर मुस्लिम वोटर 30 फीसदी से ज्यादा हैं। तीन तलाक कानून बनने से इन सीटों पर बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं के वोट मिल सकते हैं।
इतना ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ या उससे पहले 13 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इनमें 130 विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं। अकेले कर्नाटक में 40 मुस्लिम बहुल सीटें हैं। जहां 2018 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके अलावा 2018 में 7 और राज्यों में भी चुनाव हैं।
अगर लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की बात की जाए तो 2009 में 31 मुस्लिम सांसद चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में 22 मुस्लिम सांसद चुने गए हैं। इस बार सबसे अधिक 7 सांसद पश्चिम बंगाल से हैं। बिहार से 4, जम्मू-कश्मीर और केरल से 3-3 सांसद हैं। असम से 2 मुस्लिम सांसद हैं।
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