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कौन निर्णय लेगा कि पॉजिटिव और नेगेटिव क्या है?, योगी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर पवन खेड़ा

कांग्रेस नेता ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के “मियां भाई” वाले बयान को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम बार-बार उन्हें ये याद दिलाते हैं कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है। इस तरह की टिप्पणी न करें। लेकिन, वह नए-नए बीजेपी में गए हैं।"

योगी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर पवन खेड़ा ने सवाल उठाए।
योगी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर पवन खेड़ा ने सवाल उठाए। फोटोः IANS

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी दिए जाने के बाद से सियासत जारी है। इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

 पवन खेड़ा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “नई स्कीम क्या होती है? जब आपने आधे से ज्यादा वही बातें रखी हैं, जो ओल्ड पेंशन स्कीम के खिलाफ थी। तो वह इसमें कुछ नया नहीं कर रहे हैं और हमने इस संबंध में उनसे कई सवाल भी पूछे हैं, जिसका अभी तक उन्होंने जवाब नहीं दिया है।”

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उन्होंने योगी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कौन निर्णय लेगा कि पॉजिटिव और नेगेटिव क्या है? मैं सोशल मीडिया पर बीजेपी के खिलाफ लिखता हूं तो क्या वह राष्ट्रीय विरोधी माना जाएगा। या वह गलत टिप्पणी मानी जाएगी, ये साबित कौन करेगा? क्या वह तानाशाही को बैक डोर से लाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर वह पुलिस राज लाना चाहते हैं।”

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पवन खेड़ा ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली की जनता की बदकिस्मती मानता हूं कि वह पिछले 10 साल से एलजी वर्सेस सीएम ऑफिस देख रही है। इसमें दिल्ली की जनता प्रभावित हो रही है। और इसका असर उन पर सीधे-सीधे पड़ रहा है। जनता परेशान है, इसलिए अब वह लोग चाहते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार वापस आ जाए।”

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कांग्रेस नेता ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के “मियां भाई” वाले बयान को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम बार-बार उन्हें ये याद दिलाते हैं कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है। इस तरह की टिप्पणी न करें। लेकिन, वह नए-नए बीजेपी में गए हैं। इसलिए वह खुद को भाजपाई दिखाने के लिए ऐसे बयान देते रहते हैं। मैंने उन्हें संविधान की एक प्रति दी थी, हम चाहते हैं कि वह देश के संविधान को पढ़ें।”

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