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कौन बनेगा सीबीआई चीफ: सुबोध जायसवाल, वाई सी मोदी और ओ पी सिंह दौड़ में सबसे आगे

कौन बनेगा सीबीआई डायरेक्टर? आलोक वर्मा के बाद यह सवाल अब सबके मन मेंहै। केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी (डीओपीटी) ने अब नएडायरेक्टर की तलाश तेज कर दी है। खबर है कि डीओपीटी डायरेक्टर जनरल लेवल के 10 आईपीएस अफसरों में से आखिरी नामों की सूची तय करने में जुटा हुआ है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया (बाएं से) उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ पी सिंह, एनआईए प्रमुख वाई सी मोदी और मुंबई पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल

आलोक वर्मा को सीबीआई से हटाने और उसके बाद उनके रिटायरमेंट की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने नए सीबीआई डायरेक्टर का नाम तय करने की कवायद तेज कर दी है। इसके लिए देश के 10 महानिदेशक स्तर के आईपीएस अधिकारियों के नामों को खंगाला जा रहा है। केंद्र सरकार का कार्मिक विभाग यानी डीओपीटी जो सूची बना रहा है उसमें 1983, 1984 और 1985 बैच के आईपीएस अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि सीबीआई डायरेक्टर के पद की दौड़ में इस समय जो तीन नाम चर्चा में हैं उनमें 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी -एनआईए के प्रमुख वाई सी मोदी दौड़ में सबसे आगे हैं।

डीओपीटी करीब 3 या 4 अधिकारियों के नामों की सूची तय करेगा और उस पर विचार के लिए सूची चयन समिति के पास भेजी जाएगी। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं। यह समिति ही दो साल के तय कार्यकाल के लिए इनमें से एक नाम पर अंतिम फैसला लेगी।

गौरतलब है कि आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था। ऐसे में नए सीबीआई डायरेक्टर के नाम का फैसला 31 जनवरी से पहले ही होना है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि डीओपीटी को दिसंबर 2018 में सीबीआई डायरेक्टर के चयन के लिए 17 अधिकारियों की सूची भेजी गई थी। वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया कि डीओपीटी के अधिकारी के नामों की छोटी सूची बनाने की प्रक्रिया में जुटे हैं। इस सूची में ऐसे अधिकारियों के नाम शामिल किए जाएंगे, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुभव, सीबीआई में पहले कार्य करने का अनुभव, काडर में सतर्कता या विजिलेंस के मामलों को निपटाने के अनुभव हो। इसके अलावा अधिकारी की निष्ठा को भी आधार बनाया जाता है।

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में जो दिशा निर्देश तय किए थे, उसके मुताबिक आईपीएस के चार सबसे पुराने बैच के सेवारत अधिकारी सीबीआई डायरेक्टर के पद पर तैनात किए जाते हैं। सीनियारिटी और भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अनुभव के कारण अधिकारियों की सूची में 1983 बैच की अधिकारी और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा, उत्तर प्रदेश के पुलिस डीजी ओ पी सिंह और सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल राजीव राय भटनागर के नाम शामिल हैं।

वहीं 1984 बैच के कुछ प्रमुख नामों में एनआईए प्रमुख वाई सी मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी एनएसजी के डायरेक्टर जनरल सुदीप लखटकिया, पुलिस रिसर्ज एंड डेवलपमेंट ब्यूरो के प्रमुख ए पी माहेश्वरी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फॉरेंसिक साइंस के डायरेक्टर एस जावेद अहमद, बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल रजनीकांत मिश्रा और आईटीबीपी के प्रमुख एस एस देसवाल के नाम शामिल हैं।

इसके अलावा 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस कमिश्नर सुबोध कुमार जायसवाल भी दावेदार हैं।

रीना मित्रा और मोदी के पास सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक शाखाओं में काम करने का लंबा अनुभव है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सुबोध कुमार जायसवाल के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। जायसवाल ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में रह चुके हैं और मुंबई पुलिस कमिश्नर बनने से पहले कैबिनेट सचिवालय में बतौर अतिरिक्त सचिव कार्यरत थे।

रीना मित्रा के अलावा, ओ पी सिंह और राजीव राय भटनागर 1983 बैच के अधिकारी हैं और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बैच के हैं। राकेश अस्थाना उनके खिलाफ उनकी ही एजेंसी द्वारा दाखिल एफआईआर को निरस्त करवाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

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