देश में इस साल गेहूं की खेती की जमीन पिछले साल के मुकाबले करीब 4 फीसदी कम है। लेकिन सरकार के मुताबिक, उत्पादन में महज डेढ़ फीसदी की कमी आएगी। वहीं फ्लोर मिलों के संगठन और कारोबारी सरकार के अनुमान से सहमत नहीं हैं। उनको लगता है कि गेहूं का उत्पादन इस साल और घट सकता है।
कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि इस साल गेहूं की फसल के लिए मौसम अनुकूल रहा है, इसलिए अच्छी उपज हो सकती है। मगर, आगे की मौसमी दशाओं पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
केंद्रीय कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के लिए मंगलवार को जारी फसलों के अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक, इस साल देश में गेहूं का उत्पादन 9.71 करोड़ टन हो सकता है, जो पिछले साल के 9.85 करोड़ टन से 1.4 फीसदी कम है। गौरतलब है कि पिछले साल देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था।
मंत्रालय की ओर से मौजूदा रबी सीजन में 9 फरवरी 2018 तक के अंतिम बुवाई आंकड़ों के अनुसार, देशभर में गेहूं का रकबा 3.04 करोड़ हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष का रकबा 3.17 करोड़ हेक्टेयर से 4.27 फीसदी कम है। लिहाजा, पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं का उत्पादन कम रहने का अनुमान है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सेक्रेटरी वीणा शर्मा के मुताबिक, गेहूं का उत्पादन इस साल पिछले सीजन के मुकाबले काफी घट सकता है। उन्होंने कहा, "रकबा कम होने से उत्पादन में कमी आना स्वाभाविक है। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में तापमान में जो बढ़ोतरी हुई उससे उपज घट सकती है।"
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में प्रिंसिपल साइंटिस्ट शिवधर मिश्रा ने कहा कि गेहूं उत्पादन के सरकारी अनुमान को लेकर ज्यादा हैरानी की बात नहीं है क्योंकि इस साल मौसम रबी फसलों के लिए अनुकूल रहा है।
उन्होंने कहा, "खेतों में खड़ी गेहूं की फसल के लिए अभी दिन के तापमान में बढ़ोतरी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन रात का तापमान अगर 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है तो पैदावार पर फर्क पड़ना तय है।" मिश्रा ने बताया कि पिछले दिनों तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी लेकिन अब फिर मौसम अनुकूल है।
शिवधर मिश्र ने कहा कि मौसम अनुकूल रहने के बावजूद गेहूं का रकबा क्यों घटा यह अध्ययन का विषय होगा, लेकिन उत्पादन को लेकर सही आंकड़ा तब मिलेगा जब फसल तैयार होकर घर पहुंच जाएगी।
उधर, मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन के गेहूं कारोबारी संदीप सारडा ने बताया कि प्रदेश में इस साल गेहूं की फसल काफी कम है और किसानों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, पिछले साल प्रति हेक्टयर उत्पादन ज्यादा था। इस लिहाज से भी उत्पादन में कमी आ सकती है।
हालांकि कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रति हेक्टेयर उत्पादन को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसकी गणना फसल आने के बाद ही होगी। अभी सिर्फ मध्यप्रदेश और गुजरात के ही कुछ इलाकों में नई फसल तैयार हुई। देशभर में गेहूं की फसल मार्च-अप्रैल में तैयार होती है।
विपणन वर्ष 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य (एमएसपी)1,735 रुपये प्रति क्विं टल तय किया है। पिछले सीजन में गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये था और भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियों ने केंद्रीय पूल के लिए 3.08 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी। इस साल मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं के लिए किसानों को एमएसपी पर 200 रुपये बोनस देने की घोषणा की है।
इस बीच अंतर्राष्ट्रीय बाजार से गेहूं का आयात रोकने के लिए सरकार गेहूं पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस समय गेहूं पर आयात शुल्क 20 फीसदी है।
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