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तमिल की लड़ाई लड़ने वाले वयोवृद्ध कांग्रेस सांसद कुमारी अनंथन को मिला प्रमुख तमिल पुरस्कार, CM स्टालिन ने सम्मानित किया

वर्ष 1977 में सांसद के रूप में पहले दिन से ही, 'साहित्य विद्वान' अनंथन ने लोकसभा में तमिल में बोलने की अनुमति के लिए अपना संघर्ष आगे बढ़ाया और इसके लिए उन्हें 10 से अधिक बार निष्कासित किया गया।

कांग्रेस सांसद कुमारी अनंथन को मिला प्रमुख तमिल पुरस्कार
कांग्रेस सांसद कुमारी अनंथन को मिला प्रमुख तमिल पुरस्कार R Senthilkumar

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता और प्रख्यात तमिल वक्ता कुमारी अनंथन को बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह के तहत तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 'थगैसल तामिझार' (प्रख्यात तमिलियन) पुरस्कार से सम्मानित किया ।

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स्टालिन ने इस मौके पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए तथा दिव्यांग बच्चों के बीच मिठाइयां बांटीं। इन पुरस्कारों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पुरस्कार शामिल है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पी वीरामुथुवेल (परियोजना निदेशक-चंद्रयान तृतीय) को प्रदान किया गया।

सरकार ने कहा, ‘‘ अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए तमिलनाडु सरकार वर्ष 2024 के लिए उन्हें डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पुरस्कार प्रदान करती है।’’

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कांग्रेस नेता अनंथन (91) दिए गए प्रशस्ति पत्र में उन्हें 'साहित्य रत्न और साहित्य का सागर' बताया गया है।

वर्ष 1977 में सांसद के रूप में पहले दिन से ही, 'साहित्य विद्वान' अनंथन ने लोकसभा में तमिल में बोलने की अनुमति के लिए अपना संघर्ष आगे बढ़ाया और इसके लिए उन्हें 10 से अधिक बार निष्कासित किया गया।

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सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘ उनके निरंतर प्रयास के फलस्वरूप उन्हें 20 नवंबर 1978 को संसद में तमिल में बोलने की अनुमति मिली और उन्होंने तमिल में बोलना जारी रखा।’’

उन्होंने यह मांग करते हुए केंद्र सरकार के दफ्तरों के सामने विरोध प्रदर्शन किया कि तमिलनाडु में केंद्र सरकार के कार्यालयों में तमिल भाषा को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मातृभाषा होने के नाते तमिल को पूरे तमिलनाडु में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

साहस के लिए ‘कल्पना चावला पुरस्कार’ नीलगिरि जिले की नर्स ए. सबीना को प्रदान किया गया, जिन्होंने वायनाड के भूस्खलन में गंभीर रूप से घायल लोगों को बचाया ।

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सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘ 30 जुलाई 2024 को, उन्होंने जिपलाइन (एक प्रकार की लटकती रस्सी) के सहारे (प्राथमिक चिकित्सा किट पकड़े हुए) उफनती नदी को पार करके 35 से अधिक लोगों का इलाज किया और उनकी जान बचाई । इस तरह उन्होंने वायनाड भूस्खलन के दौरान गंभीर रूप से घायल लोगों की जान बचाई।’’

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दरअसल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने (नदी की) दूसरी तरफ घायल लोगों को बचाने के लिए जिपलाइन बनाई। लेकिन लोग इतने घायल थे कि उन्हें प्राथमिक उपचार दिए बिना उन्हें उठाकर लाना मुश्किल था।

बयान में कहा गया है, ‘‘ जब कोई पुरुष नर्स उपलब्ध नहीं था तो सबीना ने जिपलाइन के सहारे दूसरी तरफ़ जाने की पेशकश की। बचाव दल झिझक रहा था लेकिन साहसी और प्रतिबद्ध सबीना दूसरी तरफ जाने के लिए आगे आईं।’’

आज के समारोह में कई अन्य पुरस्कार भी दिये गये।

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