वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले दिनों विश्वनाथ मंदिर के पास एक छात्र पर हुए हमले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि शनिवार यानी 5 मई को हिन्दी भवन चौराहे के पास बदमाशों ने परीक्षा देने जा रहे आशुतोष मौर्या नाम के छात्र को चाकू मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। पीड़ित छात्र का आरोप है कि बिड़ला छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने देसी कट्टे से जान से मारने की धमकी दी और उसके साथी का पर्स और उसमें रखे 14 हजार से ज्यादा रुपये लूटकर फरार हो गए। पीड़ित छात्र की तहरीर पर लंका पुलिस ने बीएचयू के ही 9 छात्रों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में नामजद एफआईआर दर्ज किया है, जिनमें लूटपाट करने और बलवा फैलाने का आरोप शामिल है।
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बताया जा रहा है कि इस घटना को लेकर लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास और बिड़ला छात्रावास के छात्रों के बीच शनिवार को जमकर पत्थरबाजी भी हुई, जिससे विश्वविद्यालय परिसर में घंटों तक अफरा-तफरी मची रही।
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बीएचयू के लालबहादुर शास्त्री छात्रावास रहने वाले और बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ने वाले पीड़ित छात्र आशुतोष मौर्या ने लंका थाना प्रभारी को लिखे तहरीर में कहा है कि वह अपने मित्रों समीर सिंह और विनय कुमार सिंह के साथ कला संकाय में परीक्षा देने जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में हिन्दी भवन चौराहे के पास अविनाश राय, योगी प्रवीण राय, दर्शित पांडेय, रोहन, ऋषभ सिंह, अनुराग मिश्रा, आदर्श सेन गुप्ता, श्वेताभ अरुण और हर्ष वर्धन सिंह ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया, जिसमें वह घायल हो गया।
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केस दर्ज होने के बाद भी आरोपी छात्र पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हमलावरों में ज्यादातर हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े हैं, जो आए दिन विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों पर हमले करते हैं। इनमें से कई के खिलाफ लंका थाने में नामजद एफआईआर दर्ज है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के संरक्षण की वजह से इन हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। विश्वविद्यालय परिसर के अंदर होने वाले हमलों के आरोपियों में पुलिस-प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही विश्वविद्यालय परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास अराजक तत्वों ने एक छात्र पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था और फरार हो गए थे। बताया जा रहा है कि उस हमले में भी मौजूदा आरोपियों में से कई शामिल थे। हालांकि, उस हमले की वजह एलआईयू का एक सिपाही था। उसी के इशारे पर ही हमलावरों ने उस दिन छात्र पर हमला किया था, लेकिन आज तक उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। विश्वविद्यालय प्रशासन के सुरक्षाकर्मी भी हमलावरों को बचाते नजर आए थे।
पिछले साल 27 जुलाई को विश्वनाथ मंदिर के पास भी इसी तरह अराजक तत्वों ने एक पत्रकार पर हमला कर मोबाइल छीन लिया था। पत्रकार ने पुलिस प्रशासन को लिखित शिकायत दी थी। इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन ने हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित पत्रकार के मुताबिक, मौजूदा आरोपियों में से कई आरोपी उस हमले में भी शामिल थे।
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