उत्तराखंड में भूस्खलन से हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है, लेकिन राज्य सकार भूस्खलन की रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाती। संसद की एक समिति ने टिहरी परियोजना क्षेत्र में होने वाले भूस्खलन को लेकर गहरी चिंता जताई है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक टिहरी परियोजना द्वारा क्षेत्र में वृक्षारोपण नहीं करने की वजह से भूस्खलन का बड़ा पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न हो गया है। लोकसभा में पेश गृह मंत्रालय से जुड़ी आपदा प्रबंधन पर बनी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पहाड़ों पर अक्सर होने वाले भूस्खलन को कम करने में वृक्षारोपण लंबे समय के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
समिति ने गृह मंत्रालय से सिफारिश की है कि वह राज्य सरकार से यह कहे कि पहाड़ों पर ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें स्थानीय लोगों को वृक्षारोपण के काम में शामिल किया जा सके। समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हो रहे कामों को इसमें प्रभावी तरीके से शामिल करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहाड़ों पर रह रहे लोगों को तेजी से बदलती जलवायु परिवर्तन और यहां लगातार हो रहे मानव निर्मित निर्माण कार्यों से हरियाली को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए। समिति ने यह भी कहा है कि आसन्न आपदा और इससे निपटने की तैयारी का मूल्यांकन करने के बारे में उपग्रह से मिली तस्वीरें काफी अहम हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में हर साल 900 लोगों की हादसों में जान चली जाती है। पहाड़ में सड़कों की खराब हालत के अलावा भूस्खलन इन दुर्घटनाओं की बड़ी वजह हैं। अलग-अलग अध्ययनों के जरिए सरकार को भूस्खलन की वजह से होने वाली घटनाओं को बारे में आगाह किया जाता रहा है। संसद समिति की मौजूदा रिपोर्ट भी उनमें से एक है।
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