अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से कथित तौर पर जुड़े लोगों के साथ मिलकर दक्षिणपंथी समूहों के सदस्यों ने एक जुलूस निकाला और मुस्लिम दुकानदारों की 6 दुकानों को निशाना बनाया। यह घटना सोशल मीडिया पर फैलाई गई इस अफवाह की वजह से हुई कि एक मुस्लिम युवक ने नाबालिग लड़की का बलात्कार किया है। प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम-विरोधी नारे लगाए और ‘गुस्से’ में उस कथित बलात्कार के खिलाफ दुकानों को आग लगा दी, जो बलात्कार हुआ ही नहीं था।
इसमें खास बात यह है कि रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ने यह बयान दिया कि यह सिर्फ सोशल मीडिया पर फैलाई गई एक अफवाह थी। रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि कुछ लोगों ने युवक और युवती की फोटो फेसबुक पर पोस्ट की जिसमें चेहरा साफ तौर पर नहीं दिख रहा है। पोस्ट में यह भी लिखा गया कि एक विशेष समुदाय के युवक ने दूसरे समुदाय की नाबालिग लड़की का बलात्कार किया है। युवक और युवती की पहचान को जाहिर नहीं किया गया और इस मामले में कोई शिकायत भी दर्ज नहीं की गई क्योंकि यह पूरी घटना सिर्फ एक अफवाह थी। जिलाधिकारी ने कहा कि पुलिस उस आदमी की तलाश कर रही है जिसने इस अफवाह को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।
उन्होंने कहा कि इस तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
जब से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार उत्तराखंड में बनी है, तब से किसी न किसी बात को लेकर यहां रह रहे अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की दुकानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य द्वारा की गई हत्या, कोई आपराधिक घटना या उनके कथित प्रेम संबंध दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा बेकसूर मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने के लिए पर्याप्त बहाना हैं।
पिछले साल अक्टूबर में, रायवाला में हुई एक हत्या के बाद हिंदू समूहों ने ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक मुस्लिम समुदाय की दुकानों और घरों पर हमले किए गए और तोड़-फोड़ की।
बहुसंख्यक हिंदू आबादी को गोलबंद करने की कोशिश में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की आपराधिक घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है और पिछले एक साल में लगातार मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है।
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खास बात यह है कि कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा की गई छोटी सी आपराधिक घटना को भी दक्षिणपंथी संगठन बहुत बड़ी बात की तरह पेश करते हैं। सितंबर 2017 में सात मुस्लिम युवाओं पर लड़कियों को छेड़ने का आरोप लगाकर उन्हें टिहड़ी गढ़वाल जिले के चंबा शहर में जेल में डाल दिया गया और हिंदू दक्षिणपंथी संगठन चंबा मार्केट को जबरदस्ती बंद कराकर इलाके में तनाव फैलाते रहे।
इससे पहले 8 सितंबर 2017 को टिहड़ी गढ़वाल के कीर्तिनगर के दो मुस्लिम युवाओं को बहुसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों के साथ देहरादून में घूमते हुए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। कीर्तिनगर में इस खबर को पहुंचाने में पुलिस ने तत्परता दिखाई, जहां दक्षिणपंथी समूह के सदस्यों ने मुस्लिम लड़कों से जुड़ी दुकानों में तोड़-फोड़ कर दी। लड़कों को जेल भेज दिया गया।
जुलाई के महीने में दक्षिणपंथी सदस्यों ने पौढ़ी गढ़वाल जिले के सतपुली शहर में मुस्लिम समुदाय की दुकानों पर हमला कर दिया। दरअसल, एक मुस्लिम लड़के ने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट की थी। तस्वीर में उसके पीछे केदारनाथ मंदिर था और उसकी चप्पल पर एक नारा लिखा था ‘नॉट इन माई नेम’ (मेरे नाम पर नहीं)। मुसलमानों के खिलाफ दक्षिणपंथियों के हमले की एक और घटना सतपुली में तब हुई, जब कथित तौर पर एक मुसलमान पर गाय के साथ अप्राकृतिक सेक्स करने का आरोप लगा।
उसी साल जुलाई में दक्षिणपंथी समूहों ने मसूरी में कश्मीरी व्यापारियों को निशाना बनाया और उन्हें मार्च 2018 तक अपना सामान बांध कर मसूरी छोड़ देने का फरमान जारी कर दिया। ऐसा कहा गया कि उकसावे की पहली घटना कथित तौर पर भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चैपिंयस ट्रॉफी मैच के दौरान पाकिस्तान-समर्थक नारे लगाने की वजह से हुई। अजीब बात यह है कि जो कश्मीरी व्यापारी वहां अपना काम कर रहे हैं उनका इस पूरे मामले से कोई लेना-देना नहीं था।
आरएसएस से जुड़े समूहों की यह कोशिश है कि हर छोटी-बड़ी घटना को सांप्रदायिक रूप दिया जाए और उत्तराखंड में रह रहे मुस्लिम समुदाय पर हमला किया जाए।
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