गाजियाबाद के पुरुषोत्तम हर दूसरे साल उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर जाते रहे हैं। हर बार यात्रा से लौटने के बाद वह किस्से सुनाते रहे हैं और यह संकल्प दोहराते रहे हैं किअगली बार फिर जाएंगे। लेकिन इस बार लौटने के बाद वह किस्से सुनाने के बाद यह जोड़ना नहीं भूलते कि अब वह तब तक नहीं जाने वाले जब तक उन्हें कोई पक्का यकीन न दिलाए कि व्यवस्थाएं बेहतर हो गई हैं।
असल में, इस बार इस यात्रा के दौरान घालमेल हर स्तर पर है। इस बार मेडिकल सुविधाओं की वैसी व्यवस्था नहीं की जा सकी कि लोग सुकून में रहें। आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। इस बार लगभग एक माह की अवधि में ही हृदयगति रुकने और ठंड आदि से मरने वालों की संख्या 48 तक पहुंच गई। डाॅक्टरों के अनुसार, यात्रियों की ज्यादातर मौतें हाइपोक्सेमिया- खून में ऑक्सीजन के न्यूनतम स्तर के कारण हार्ट अटैक से हुई है।
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यह आंकड़ा 18 जून तक का है। जबकि पिछले साल यात्रा में पहले एक महीने में 27 यात्रियों की जानें ही गई थीं। इससे अधिक 34 यात्रियों की मौतें तो इस बार अकेले केदारनाथ यात्रा के दौरान एक महीने में हो गई। पिछले साल 6 माह के पूरे यात्रा सीजन में 65 यात्रियों की मौत हुई थी। यह हाल तब है जबकि सूबे के चिकित्सा विभाग का भार खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के पास है।
इस यात्रा को भी इवेंट के तौर पर प्रचारित-प्रसारित करने की सरकार हर स्तर पर कोशिश कर रही है, लेकिन जो व्यवस्थाएं की जानी चाहिए थीं, उनमें कोताही बरती जा रही है। इसका एक ही उदाहरण काफी होगा। ऋषिकेश से लेकर चार धामों तक जाने वाले लगभग 1,350 किलोमीटर लंबे मार्ग पर एक भी व्यवस्थित बस अड्डा नहीं है। जो बस स्टेशन हैं, उनमें जगह की कमी है इसलिए वाहनों को प्रमुख नगरों में रुकने नहीं दिया जाता। इस कारण यात्री अपनी जरूरत की चीजें तक नहीं खरीद पाते।
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बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी. सिंह के अनुसार, अभी 18 जून तक बद्रीनाथ और केदारनाथ धामों में देश-विदेश के 13,86,321 तीर्थ यात्री दर्शन लाभ कर चुके थे। इनमें 6,92,124 यात्री बद्रीनाथ और 6,94,197 यात्री केदारनाथ धाम के शामिल हैं। केदारनाथ यात्रा और दर्शन-व्यवस्था सुव्यवस्थित करने के नाम पर प्रशासन ने इस बार टोकन की व्यवस्था शुरू की थी, लेकिन यह बुरी तरह विफल रही। ऋषिकेश स्थित बायोमीट्रिक पंजीकरण केंद्र के अनुसार, वहां पर प्रतिदिन औसतन 9,500 यात्री चार धाम के लिये पंजीकरण करा रहे हैं। दरअसल, ऋषिकेश में बाहरी आगंतुकों के लिए बायोमीट्रिक पंजीकरण जरूरी है।
यह व्यवस्था 2013 की केदारनाथ त्रासदी के कटु अनुभवों के आधार पर की गई क्योंकि उस आपदा में मरने और लापता होने वाले लोगों का सही-सही आंकड़ा कोई भी नहीं जुटा पाया। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के 13 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के दावे के बरक्स ऋषिकेश आधार केंद्र में 18 जून तक केवल 5,55,960 यात्री ही अपना पंजीकरण करा पाए थे। इस आधार केंद्र के हिसाब से भी वहां पर 40 सीट वाली कम से कम 225 बसों की रोज जरूरत है। अब उतनी बसें यहां लगाई नहीं जा सकी हैं तो लोग टैक्सियों से यात्रा कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश यात्री बिना पंजीकरण ही यात्रा कर रहे हैं और ये टैक्सियां अनाप-शनाप पैसे वसूल रही हैं।
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इन टैक्सियों से यात्रा भी आसान नहीं है क्योंकि चार धाम मार्ग पर सामान्य उपलब्धता से कहीं अधिक खपत बढ़ जाने के कारण पेट्रोल-डीजल की किल्लत हो रही है। केदारनाथ मार्ग की शुरुआत तथा बद्रीनाथ मार्ग के मुख्य नगर- रुद्रप्रयाग में और उसके आसपास के 9 पेट्रोल पंपों पर सामान्य दिनों में औसतन 10 हजार लीटर पेट्रोल और 30 हजार लीटर डीजल की खपत होती है। मगर इन दिनों वहां पेट्रोल की मांग 30 हजार और डीजल की मांग 80 हजार लीटर तक पहुंच गई है।
बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित 9 पेट्रोल पंपों पर सामान्य दिनों में औसतन 10 हजार लीटर पेट्रोल और 25 हजार लीटर डीजल की खपत होती है, मगर इन दिनों पेट्रोल की मांग सवा लाख लीटर और डीजल की मांग 45 हजार लीटर तक पहुंच गई है। मैदानी क्षेत्रों से इतनी मात्रा में तेल समय से पहुंचाने की अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की जा सकी है। कारण यह भी है कि ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य के कारण रास्ते में कभी-कभी घंटों तक जाम लग जाता है। इसका लाभ भी ब्लैक करने वाले उठा रहे हैं।
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वीक एंड और गर्मी की छुट्टियों में नैनीताल, मसूरी-जैसे पर्यटन स्थलों पर आने वाले लोगों की वजह से दिक्कतें दूसरे किस्म से बढ़ गई हैं। इन जगहों पर समुचित पार्किंग व्यवस्था नहीं है, सो लोग परेशान रहे। जून के पहले सप्ताह में तो स्थिति इतनी बदतर थी कि पर्यटकों के वाहनों को नैनीताल से 10 किलोमीटर पीछे बल्दिया खान में रोक दिया गया। डंडाधारी पुलिसवालों ने पर्यटकों के साथ भी कानून तोड़ने वालों की तरह व्यवहार किया। पर्यटकों की भीड़ बेकाबू रही, इसके बावजूद होटल में कमरे खाली रहे।
इसी वजह से पर्यावरणविद पद्मश्री डाॅ. अनिल प्रकाश जोशी कहते हैं कि इस बार पर्यटक और तीर्थ यात्री अपेक्षा से अधिक आए, मगर सरकार इन्हें संभाल नहीं पाई। पर्यटन प्रदेश की बातें तो हुईं, मगर इस दिशा में काम नहीं हो पाया। इसका प्रभाव नकारात्मक पड़ा।
(उत्तराखंड से जयसिंह रावत की रिपोर्ट)
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