मुजफ्फरनगर जनपद (अब शामली) के चौसाना गांव की 3 हजार बीघा जमीन को भूमाफियाओं के चंगुल से 23 साल से कोई सरकार मुक्त नही करा सकी है। लेकिन जमीन को भूमाफियाओं से मुक्त कराने के लिए 23 साल से धरने पर बैठे एक समाजसेवी को मुजफ्फरनगर प्रशासन ने पुलिस बल के जोर पर जबरन हटा दिया।
बुधवार की सुबह करीब 9 बजे पहुंचे पुलिस और पीएसी के जवानों ने 23 साल से धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह को 5 मिनट में धरनास्थल से रवाना कर दिया। इसके बाद धरनारत मास्टर विजय सिंह ने ऐलान किया है कि जरूरत पड़ने पर पदयात्रा कर दिल्ली जाएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर धरना देंगे।
मामला मुजफ्फरनगर का है, जहां पिछले 23 साल से मास्टर विजय सिंह चौसाना गांव में भूमाफिया द्वारा अवैध रूप से कब्जाई गई हजारों बीघा ग्राम समाज की जमीन को मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रहे थे और इसके लिए धरने पर बैठे थे।
23 साल से जारी इस धरने को लेकर मास्टर विजय सिंह का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशिया बुक, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। मास्टर विजय सिंह 26 फरवरी 1996 से धरने पर बैठे थे, मगर बुधवार को इस रिकॉर्डधारी धरने को खत्म करने में प्रशासन को केवल 5 मिनट का समय लगा।
प्रशासन के इस कदम से मास्टर विजय सिंह बेहद हताश दिखाई दिए। उन्होंने जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी से मिलने का प्रयास किया, मगर वो कामयाब नहीं हो सके। मास्टर विजय सिंह ने बातचीत में बताया कि उनका धरना जनहित में है। वो सरकारी जमीन से भूमाफियाओं का कब्जा हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह जमीन हजारों बीघा है। उन्होंने कहा कि भूमाफियाओं के बड़े राजनीतिक संपर्क है। अब तक यहां 30 डीएम आ चुके हैं, लेकिन उनके साथ इस तरह का बर्ताव पहली बार हुआ है।
वहीं, मुजफ्फरनगर की जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी के मुताबिक मास्टर विजय सिंह की शिकायत थी कि चौसाना गांव में सरकारी जमीन को कब्जाया गया है। यह प्रकरण अब राजस्व परिषद में विचाराधीन है। ऐसे में जनपद मुजफ्फरनगर से कार्रवाई अपेक्षित नहीं है। डीएम शामली ही इस पर अपनी आख्या भेज सकते हैं।
दरअसल कलक्ट्रेट में मास्टर विजय सिंह 23 साल से 3200 बीघा जमीन को मुक्त कराने के लिए धरने पर बैठे थे। ये जमीन अब शामली जनपद में आती है। इसमें से 300 बीघा जमीन मुक्त कराई जा चुकी है। मास्टर विजय सिंह इसे जमीन घोटाला बताकर सीबीआई जांच की मांग भी करते रहे हैं। इस मामले में राजस्व की हेराफेरी के आरोप में 136 मुकदमे भी दर्ज हुए हैं।
विजय सिंह के मुताबिक वो चाहते हैं कि यह जमीन कब्जामुक्त कराकर गांव के भूमिहीन लोगों को दे दी जाए। मास्टर विजय सिंह कहते हैं, “अगर वो गलत हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाएं, लेकिन अगर वो सही हैं तो गांव वालों को इंसाफ मिलना चाहिए।”
विजय सिंह को धरने के दौरान कई बार धमकी और प्रलोभन भी मिला, मगर वो डटे रहे उनके अनुसार वो अहिंसात्मक सत्याग्रह के अनुयायी हैं, मगर प्रशासन ने उनके साथ सही बर्ताव नहीं किया। साल 2012 में वो पदयात्रा कर लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचे थे, जिसके बाद इसके लिए एक जांच कमेटी गठित की गई थी। मगर उसकी जांच अब तक पूरी नहीं हुई।
मास्टर विजय सिंह बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने उनसे जमीन पर खुद हल चलाने का वादा किया था, मगर वो इसके बाद बीमार पड़ गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न नेताओं और अफसरों को हजारों मांग पत्र सौंपे। कुछ नेताओं ने उनके धरनास्थल पर पहुंचकर मुलाकात भी की मगर सकारात्मक नतीजा नही आया।
विजय सिंह के अनुसार इस दौरान उनके तमाम परिवार वाले और रिश्तेदार उनसे छूट गए। मगर वो फिर भी डटे रहे। 34 साल की उम्र में धरना शुरू करने वाले मास्टर विजय अब 57 साल के हैं। उनकी लंबी सफेद दाढ़ी, उनके संघर्ष को बयां करती है।
उनको धरने से उठाए जाने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के मुताबिक वो मास्टर विजय सिंह से मुलाकात करेंगे। वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी के मुताबिक “जनतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है। मास्टर विजय सिंह सार्वजनिक जमीन पर धरनारत थे और किसी को हानि नहीं पहुंचा रहे थे। उनके साथ ज्यादती हुई है। बेहद अपमानित तरीके से उन्हें हटाया गया। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट है। उनका संघर्ष जनहित में है। बेहतर होता जिस जमीन के लिए वो लड़ रहे हैं, उसे कब्जा मुक्त कराया जाता।”
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