उत्तर प्रदेश के दनकौर में स्थित पौराणिक महत्व के द्रोण मंदिर में आयोजित श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेले में कव्वाली की पुरानी परंपरा को लेकर इस बार विवाद हो गया है। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की संस्था हिंदू युवा वाहिनी इस बार द्रोण मंदिर के मेले में प्रस्तावित कव्वाली के विरोध में उतर आयी है। हिंदू युवा वाहिनी ने कव्वाली को मुस्लिम परंपरा बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सोमवार को इस पर रोक लगा दी। इससे नाराज मेला समिति ने मंगलवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर शिकायत की है। साथ ही आयोजकों ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि हिंदू युवा वाहिनी कव्वाली के बहाने यहां सांप्रदायिक दंगे कराना चाहती है।
बता दें कि दनकौर के द्रोण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्स्व के अवसर पर पिछले 95 सालों से मेले का आयोजन होता आ रहा है। बताया जाता है कि पिछले 70 सालों से इस मेले में कव्वाली का भी आयोजन कराया जा रहा है। इस बार भी द्रोण मंदिर के बाहर द्रोण नाट्य मंच के द्वारा 3 से 13 सितंबर तक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेले का आयोजन किया गया है। जिसमें बुधवार को यहां कव्वाली के मुकाबले का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। लेकिन इस साल हिंदू युवा वाहिनी ने कव्वाली को मुस्लिम परंपरा बताते हुए इसके आयोजन का विरोध किया है। खबरों के अनुसार 10 सितंबर को सीएम योगी की संस्था हिंदू युवा वाहिनी के मेरठ मंडल के विवेक सिंह और अन्य कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से शिकायत करते हुए कहा कि मंदिर परिसर में कव्वाली का कोई औचित्य नहीं है। इससे क्षेत्र के हिंदू समाज में नाराजगी है। अगर यह कार्यक्रम होता है तो इलाके का सांप्रदायिक माहौल बिगड़ सकता है। इसके बाद सोमवार को ही जिला प्रशासन ने विवेक सिंह की शिकायत और पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कथित अश्लील डांस और बुधवार को प्रस्तावित कव्वाली के आयोजन पर रोक लगा दी। प्रशासन के इस कदम पर मेला समिति ने नाराजगी जताई है।
मेला समिति ने इस रोक के विरोध में पुलिस प्रशासन से शिकायत की है। साथ ही समिति ने सीएम योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भी लिखा है। मेला समिति का आरोप है कि हिंदू युवा वाहिनी कव्वाली के बहाने इलाके का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ना चाहती है। इतना ही नहीं मेला समिति ने धमकी दी है कि यदि कव्वाली का आयोजन नहीं हुआ तो मेला बीच में ही खत्म कर दिया जाएगा।
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द्रोण मेला समिति के अध्यक्ष नंद किशोर गर्ग का कहना है कि 95 साल से इस मेले का आयोजन हो रहा है, जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं। मेले में 70 प्रतिशत दुकानें मुस्लिमों की हैं। 70 साल से यहां कव्वाली आयोजित हो रही है। उन्होंने कहा कि कव्वाली केवल मुसलमानों की नहीं है। सरस्वती वंदना से इसकी शुरुआत होती है और कृष्ण और राम की कथाओं पर भी कव्वाली गाई जाती है। उन्होंने बताया कि कव्वाली टीम में हिंदू भी हैं। मेले में मंच और पर्दे आदि भी मुसलमान ही तैयार करते हैं। पहले कभी कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब हिंदू युवा वाहिनी के कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं। वहीं प्रशासन का इस पूरे मामले पर कहना है कि रेकॉर्ड के मुताबिक 2011 से 2016 तक हर साल मेले में कव्वाली का आयोजन हुआ है। पिछले साल इसका आयोजन नहीं हुआ था। और इस बार इसके लिए अनुमति नहीं ली गई है। बिना अनुमति के ऐसे आयोजन, जिनसे धार्मिक भावनाएं भड़कती हों, उन पर रोक लगा दी गई है।
बता दें कि कव्वाली का इतिहास बेहद पुराना है। कव्वाली को आमतौर पर मुस्लिम परंपरा माना जाता है, लेकिन असल में यह सूफी-संतों की संस्कृति की परंपरा है। यह परंपरा तेरहवीं सदी में ईरान और अफगानिस्तान से भारत आयी थी। आज यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुकी है।
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