गोलगप्पे से थोड़ी बड़ी आठ पूड़ी और आलू की सब्जी की कीमत कितनी हो सकती है? किसी भी व्यक्ति का जवाब होगा- अधिक से अधिक 20 रुपये; बहुत हुआ तो 25 रुपये। पर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के अधिकारी इसके नाम पर 40 रुपये का भुगतान ले रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने 40 रुपये में भरपेट भोजन के इंतजाम का निर्देश दिया है।
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असल में, मेरठ हो या मुरादाबाद, कुशीनगर हो या महराजगंज हर जगह गरीबों का पेट भरने के नाम पर चल रहे कम्युनिटी किचेन सवालों की जद में हैं। इनमें बन रहे भोजन की क्वालिटी और क्वांटिटी को लेकर तो सवाल है ही, अब तो अफसरों के बीच कमीशन को लेकर भिड़ंत भी दिख रही है। सिद्धार्थनगर जिले में कम्युनिटी किचेन प्रभारी बनाए गए लेखपाल महेंद्र साहनी ने डीएम दीपक मीणा को कम्युनिटी किचेन के प्रभारी पद से इस्तीफा सौंपते हुए आरोप लगाया कि तहसीलदार सत्येंद्र सिंह एक पैकेट के पीछे 25 रुपये कमीशन मांग रहे हैं। उधर, सदर तहसीलदार सत्येंद्र सिंह की दलील है कि सामुदायिक किचन के संचालन में लेखपाल ने गोलमाल किया है। जवाब-तलब पर आरोप लगा रहे हैं। जांच में उसका जेल जाना तय है। जिलाधिकारी दीपक मीणा यह कहकर किसी तरह आग में पानी डाल रहे हैंः शासन की ओर से प्रति लंच पैकेट 40 रुपये की दर तय की गई है और लेखपाल की शिकायत पर जांच कमेटी बना दी गई है।
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गोरखपुर में गरीबों की मदद के लिए तैयार खाने के साथ ही सूखे राशन का वितरण हो रहा है। शहरी इलाकों में लंच पैकेट की अधिक मांग है। इसके लिए सदर तहसील परिसर में कम्युनिटी किचेन बना है। सदर तहसीलदार संजीव दीक्षित के अनुसार, रोज 2,500 से 3,500 लंच पैकेट तैयार हो रहा है। लेकिन बीजेपी पार्षद और नगर निगम के पूर्व उपसभापति बृजेश सिंह छोटू का कहना है कि प्रशासन द्वारा तैयार कराए जा रहे लंच पैकेट में एक वयस्क का पेट नहीं भरेगा। अपने क्षेत्र के लोगों के लिए रोज 500 से 700 पैकेट तैयार करा रहा हूं। आठ बड़ी-बड़ी पूड़ी और करीब 200 ग्राम सब्जी का खर्च करीब 16 रुपये हैं।
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इसी तरह मेरठ में पार्षद पवन चैधरी ने आरोप लगाया है कि कम्युनिटी किचेन से आ रहे भोजन की क्वालिटी घटिया है। कभी-कभी तो खाने में बदबू आती है। पार्षद का कहना है कि अधिकारी खाने की क्वालिटी को लेकर शिकायत सुनना ही नहीं चाहते हैं। एसडीएम को फोन किया तो वह नोडल अधिकारी से बात करने को कहते हैं, और डीएम अनिल ढींगरा से बात करना ही मुश्किल है।
इसी तरह आजमगढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को घटिया खाना परोसने का वायरल वीडियो सुर्खियों में है। वीडियो में सूखी पूड़ी बांटी जा रही है। सुर्खियों में मामला आने के बाद जिलाधिकारी एनपी सिंह ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी की अध्यक्षता में एक जांच टीम का गठन किया है।
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कम्युनिटी किचेन के साथ ही बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित मोदी रसोई में खाद्यान्न का इंतजाम कैसे हो रहा है, इसकी तस्दीक मुरादाबाद में बीजेपी नेता और राशन डीलर के बीच हो रही बातचीत के वायरल ऑडियो से हो जाती है। हालांकि नवजीवन इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता, पर इसमें जिला महामंत्री भानु प्रताप सिंह डीलर से कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि एक विद्यालय में चलाए जा रहे रसोई में खाद्यान्न पहुंचा दें। डीलर के ना-नुकुर पर धमकी भरे अंदाज में कहा गया कि पार्टी का आदेश है, नहीं मानना है तो बता दो।
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उधार देकर बर्बाद हो गए दुकानदार!
प्रदेश के क्वारंटाइन सेंटरों में परोसे जाने वाले भोजन को लेकर भी विवाद कम नहीं है। महराजगंज में एक समय की डाइट के लिए 40 रुपये के भुगतान का आदेश हुआ। जिले के विभिन्न स्कूलों में करीब 9 हजार लोग ठहरे थे। एक दिन में दो समय के भोजन पर करीब 8 से 9 लाख रुपये का खर्च था। इसके लिए प्रशासन के खजाने में सिर्फ 20 लाख रुपये थे। स्थानीय प्रशासन और ग्राम प्रधानों ने दुकानदारों से उधार लेकर सेंटरों में ठहरे लोगों को भोजन करा दिया। 15 दिनों में बिल हो गया लगभग करीब डेढ़ करोड़ रुपये का लेकिन अब भुगतान को संकट है। तहसीलदारों और ग्राम प्रधानों ने डीएम डॉ. उज्जवल कुमार को दिए आवेदनों में कहा है कि दुकानदारों से उधार लेकर सेंटर में खाना बनवाए गए हैं। कुशीनगर जिले के जिलाधिकारी भूपेंद्र एस चौधरी ने क्वारंटाइन सेंटरों में ठहरे लोगों के लिए 60 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करने की बात की, पर इसे मानने से तहसीलदारों ने मना कर दिया है। उनका कहना है कि 60 रुपये में दो समय का भोजन और नाश्ता देना संभव नहीं है।
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