बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छेड़छाड़ के खिलाफ धरने पर बैठी छात्राओं का आंदोलन थम गया है। लाठीचार्ज और पुलिस बर्बरता के बाद विश्वविद्यालय को 2 अक्यूबर तक बंद करने के आदेश के बाद छात्राएं भी शांत हो गयी हैं। शहर के दूसरे कॉलेज भी बंद कर दिए गए, इस आशंका में कि कहीं छात्र-छात्राएं पुलिस बर्बरता के खिलाफ सड़कों पर न उतर आएं। वाराणसी में आने वाले हर सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता को बिना कोई कारण बताए घंटों अवैध हिरासत में रखा गया। पूरे देश के छात्र-छात्राओं ने वाराणसी से लेकर दिल्ली तक, लखनऊ से लेकर जयपुर तक, पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक विरोध प्रदर्शन किए।
उत्तर प्रदेश में गोरखनाथ पीठ के महंत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की पुलिस ने एक हजार छात्र-छात्राओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। वहीं अपने ही संसदीय क्षेत्र में पुलिस बर्बरता पर खुलेआम कुछ भी बोलने में शर्म महसूस करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूत्रों के हवाले से प्रचारक मीडिया के जरिए ये खबर जारी कराई है कि वे इस घटना को बहुत गंभीर मान रहे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है। यह भी बताया गया कि पीएम के गंभीर होने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र से सांसद दूसरे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी योगी आदित्यनाथ से बात की।
जिन 1000 अज्ञात छात्राओं पर एफआईआर दर्ज की गई है, उनपर हर वह धारा लगायी गयी है जो किसी दंगाई पर लगाई जाती है। इन छात्र-छात्राओं पर दंगा फैलाने की धारा 148, हत्या का प्रयास करने की 307, अपराधिक तरीके अपनाकर सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने की 353, जानबूझकर दूसरों को चोट पहुंचाने की 332 और अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धारा 436 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
पुलिस ने कुछ पुलिसवालों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। इन पर पत्रकारों से बदसुलूकी और छीना-झपटी के मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा तीन एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट (मनोज कुमार सिंह, सुशील कुमार गौंड और जगदंबा प्रसाद सिंह) और दो पुलिसवालों को हटा दिया गया है। इन पर आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज करने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा लंका थाने के थानेदार राजीव सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है जबकि भेलुपुर के क्षेत्राधिकारी (सीओ) निवेश कटियार का तबादला कर उनकी जगह अयोध्या सिंह को तैनात कर दिया गया है।
इस बीच छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना पर विशेष जनसुनवाई भी सोमवार को हुई। इस सुनवाई में एक ही बात थी जो सारे बयानों में समान थी, वह यह कि इस सबके लिए बीएचयू के कुलपति की हठधर्मिता ही जिम्मेदार है। सुनवाई के लिए कमिश्नरी कार्यालय में सुबह 9 बजे से दोपहर तक चली सुनवाई में 25 लोगों ने लिखित बयान तो कई ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर फोन से जानकारी दी। इन्हीं बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी।
बीएचयू के बाद अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी आए दिन छात्राओं के साथ होने वाली छेड़खानी का मुद्दा आंदोलन का रूप ले रहा है। बीएचयू की घटना के विरोध में आइसा के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को मार्च निकाला। बीएचयू की घटना के विरोध में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया तो कांग्रेस-सपा के नेताओं और पार्षदों ने भी बीएचयू की छात्राओं के आंदोलन को समर्थन दिया। छात्राओं का कहना है कि जिस प्रकार की घटना बीएचयू में छात्रा के साथ हुई, वैसी ही घटनाएं इलाहाबाद में आए दिन होती रहती हैं। यहां भी महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड टांग दिया जाता है। लाइब्रेरी गेट से लेकर छात्रसंघ भवन तक छात्राओं पर कमेंट पास किया जाता है।
बनारस से निकली यह आग अब दिल्ली तक पहुंच गई। दिल्ली के जंतर-मंतर पर आधा दर्जन से अधिक संगठनों के पांच सौ से अधिक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने लाठीचार्ज के मामले में योगी सरकार से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। प्रदर्शन कर रहे संगठनों में ऑल इंडिया स्टुडेंट एसोसिएशन (आईसा), नेशनल स्टुडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई), ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (आइडवा), स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) जैसे कई और संगठन शामिल रहे । प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने बीएचयू वीसी वापस जाओ औरआजादी के नारे लगाए। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए काफी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था।
उधर एबीवीपी के छात्रों ने भी शास्त्री भवन के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान जब प्रदर्शनकारियों ने शास्त्री भवन के गेट पर चढ़कर प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। जेएनयू में भी छात्र सड़क पर उतरे। युवा कांग्रेस की तरफ से भी विरोध मार्च निकाला गया। सभी प्रदर्शनकारियों ने लाठीचार्ज की निंदा कर छात्राओं को इंसाफ दिलाने की मांग की।
Published: 26 Sep 2017, 12:03 AM IST
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Published: 26 Sep 2017, 12:03 AM IST