उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव के अंतिम चरण में 26 जिलों में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के लिए आज मतदान पूरा हो गया। मतदान को सकुशल संपन्न कराने के लिए एक तरफ जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे वहीं फर्जी वोट को रोकने के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा सख्त इंतजाम किए गए थे। पूरे दिन चुनाव के दौरान जगह-जगह मतदान में परेशानी की खबरें सामने आईं। कई जगहों से हिंसा और पुलिस ज्यादती की खबरें हैं।
इस दौरान कई शहरों में मुस्लिम इलाके के मतदाताओं में भी पुलिस और प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी देखने को मिली। कई स्थानों पर प्रशासन द्वारा जबरन मुस्लिम महिलाओं के नकाब हटवाने की घटना भी सामने आई। जिसकी वजह से मुस्लिम वोटिंग प्रतिशत काफी कम होने की बात कही जा रही है।
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बात दें कि उत्तर प्रदेश बीजेपी ने बाकायदा राज्य चुनाव आयोग को एक ज्ञापन देकर यह मांग की थी कि पर्दे, बुर्के या घूंघट में आई महिलाओं के चेहरों का मिलान उनके वोटर आईडी कार्ड से किया जाए और इसके लिए महिला सुरक्षा कर्मियों की खास व्यवस्था की जाए। हालांकि चुनाव आयोग ने इस बाबत कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया था, लेकिन कई जिलों में प्रशासन ने इसे जरूर लागू कर दिया।
मुगलसराय, चंदौली, बागपत और सहारनपुर में कई बूथों पर महिला सुरक्षाकर्मियों ने बुर्के में आई महिलाओं की पहचान उनके आई कार्ड से तो की ही साथ में उनका बुर्का भी हटाकर चेहरे से पहचान पत्र का मिलान किया। सहरानपुर के खाताखेड़ी में मुस्लिम महिलाओं से जब बुर्का हटाने को कहा गया तो उन्होंने हंगामा कर दिया। एक मतदाता रजिया ने बताया, “बूथ पर एक पुरुष कर्मचारी ने मुझे बुर्का हटाकर चेहरा दिखाने को कहा। जबकि मैंने अपना आधार कार्ड उन्हें दिया था और लिस्ट में मेरा नाम भी था। जब मैंने गैर मर्द के सामने चेहरा दिखाने से इंकार किया तो मुझे वोट डालने से रोक दिया।” पीठासीन अधिकारी सतीश कुमार के मुताबिक उन्हें बिना चेहरा देखे वोट डालने देने की अनुमति नही है।
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स्थानीय बसपा नेता हाफिज ओवैश ने बताया कि तमाम बूथ पर इसी तरह की समस्या आई जिसके बाद मुस्लिम महिलाओं की वोट डालने की रफ्तार कम हो गई। खान आलम पूरा और छिपियां जैसे बड़ी आबादी वाले मोहल्ले में अत्यधिक सख्ती की गई। यहां कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी बहार अहमद अंसारी ने बताया कि ज्यादा सख्ती के चलते मतदान धीमा चल रहा है जबकि हिंदू बहुल इलाकों में ऐसी सख्ती नहीं है। नया गांव, रामनगर में बड़ी संख्या में लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले।
गंगोह में कांग्रेस नेता इमरान मसूद की भाभी शाजिया मसूद और भाई नोमान मसूद महिलाओं को बूथ तक ले जाने में सफल रहे और यहां बड़ी तादाद में वोटिंग हुई। शहर में मुस्लिम महिलाओं को डरा-धमकाकर और नाहक परेशान करने का आरोप बसपा प्रत्याशी हाजी फजरुलरहमान ने भी लगाया। उधर बेहट में कांग्रेस और एक निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थक आपस में भिड़ गए। मुसर्रफ जैदी के अनुसार सुबह पैसे बांटने की शिकायत पर कांग्रेस प्रत्याशी बॉबी कर्णवाल और निर्दलीय शालू के लोग आपस में भिड़ गए जिसमें कई लोगों के सिर फट गए। पुलिस दोनों पक्षों को थाने लेकर गई।
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बागपत के वीर स्मारक इंटर कॉलेज में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। यहां जो भी मुस्लिम महिलाएं बुर्के में आ रही थीं उनकी सख्ती से चेकिंग के बाद ही उन्हें पोलिंग बूथ में जाने की इजाजत दी जा रही थी। पोलिंग बूथ पर तैनात महिला पुलिसकर्मी पूरी मुस्तैदी से हर बुर्कीनशीं महिला की जांच कर रही थीं। साथ में उनके पहचान पत्र से भी उनके चेहरे का मिलान किया जा रहा था। हालांकि, कुछ महिला मतदाताओं ने इसका विरोध भी किया, लेकिन बिना जांच के कोई नकाब लगाए महिला को मतदान केंद्र में दाखिल नहीं होने दिया जा रहा था।
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जिले के इस्लामिया मदरसे में स्थित मतदान केंद्र में पुलिस ने जबर्दस्त लाठी चार्ज किया जिससे महिलाओं में भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में गोद में लिया हुआ एक बच्चा गिर गया और गम्भीर रूप से घायल हो गया। घटना के चश्मदीद आरिफ ने बताया कि एक सिपाही ने गाली देकर कहा कि फर्जी वोट डाल रहे हो जिसका एक युवक ने विरोध किया। पुलिस ने उस युवक को पीट दिया जिसके बाद बवाल हो गया और कई महिलाओं को भी चोटें आईं। इसके बाद यहां काफी देर तक मतदान प्रभावित रहा। बाद में एडीजी प्रशांत कुमार भी मतदान स्थल पर पहुंचे। एक घायल महिला शबनम के अनुसार पुलिस का रवैया ऐसा था जैसे वो जानबूझकर बवाल चाहती हो।
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मुगलसराय में भी मतदान के दौरान मुस्लिम महिलाओं का बुरका हटवाकर चेहरे का मिलान किया गया। इसके लिए एक महिला कांस्टेबल को नियुक्त किया गया था। मुस्लिम महिला मतदाताओं ने इस पर काफी नाराजगी जताई। कई महिलाएं इसी वजह से वोट नहीं दे पाईं।
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