हाथरस मामले पर क्या यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि योगी सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है, उसमें कहा गया है कि पीड़िता के परिवार की सहमति से रात में अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन परिवार तो कहता आ रहा है कि यूपी पुलिस ने उसकी मर्जी के खिलाफ रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कर दिया। जबकि वो चाहते थे कि उनकी बेटी अंतिम बार घर आए और सुबह उसका अंतिम संस्कार किया जाए।
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अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने अयोध्या-बाबरी केस के कारण जिलों को हाई अलर्ट पर रखने और कोरोना की वजह से भीड़ न इकट्ठा होने देने का भी जिक्र किया है। यूपी सरकार का कहना है कि अयोध्या-बाबरी केस में आए फैसले की संवेदनशीलता और कोरोना के मद्देनजर परिवार की मंजूरी से पीड़िता का रात में अंतिम संस्कार किया गया।
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इस हलफनामे में सरकार का कहना है कि 14 सितंबर को पुलिस को सूचना मिलने पर पुलिस ने मामला दर्ज करके तत्काल कदम उठाया। सरकार ने कहा कि इस मुद्दे का उपयोग करते हुए जाति और सांप्रदायिक दंगों को भड़काने के लिए राजनीतिक दलों के कुछ वर्ग, सोशल मीडिया, कुछ वर्गों के प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने जानबूझकर और सुनियोजित प्रयास किए।
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यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हाथरस में लड़की के साथ कथित बलात्कार और हमले की सीबीआई जांच के निर्देश देने चाहिए। यूपी सरकार ने कहा कि हालांकि वो मामले की निष्पक्ष जांच कर सकती है लेकिन "निहित स्वार्थ" निष्पक्ष जांच को पटरी से उतारने के मकसद से प्रयास कर रहे हैं।
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गौरतलब है कि यूपी के हाथरस में एक दलित युवती का गैंगरेप हुआ था, जिसके बाद दिल्ली में 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। मौत के बाद जिस तरह यूपी पुलिस ने युवती का अंतिम संस्कार नन-फानन में रात के अंधेरे में ही कर दिया, उसपर काफी विवाद हुआ। राजनीतिक दलों से लेकर कई सामाजिक संगठनों ने यूपी सरकार पर सवाल खड़े किए।
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