हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का योगदान किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके लिखे उपन्यास और कहानियों की देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के पाठकों के दिल में एक खास जगह है। 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद की 140वीं जयंती है। उनकी जयंती से चांद दिन पहले ही बिजली विभाग ने उनके वाराणसी के लमही स्थित पैतृक घर के कनेक्शन को अवैध बताते हुए बिजली काट दी।
रविवार को पूरे दिन बिजली विभाग के कई बड़े अधिकारी बिजली चोरी किए जाने को लेकर जांच करते रहे और इसके लिए कसूरवार शख्स के इंतजार में वहीं डेरा जमाए रहे। बिजली कटने के कारण 31 जुलाई को उनकी जयंती पर होने वाले कार्यक्रम के लिए किए जाने वाले सभी इंतजाम लालटेन और मोमबत्ती की रोशनी में किए गए।
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दरअसल मामला 14 साल पुराना है, जब साल 2005 में मुंशी प्रेमचंद की 125वीं जयंती पर केंद्र और प्रदेश सरकार ने एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कराया था। इस दौरान बिजली की व्यवस्था कराने के लिए वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) ने जल्दबाजी में बिजली के तार जुड़वा दिए। मुंशी प्रेमचंद से जुड़े स्थलों के विकास के लिए करोड़ों रुपये मिलने के बाद भी कनेक्शन की बात न तो वीडीए की जानकारी में आई और न ही बिजली विभाग जागा। अब कई सालों बाद उनकी जयंती से कुछ दिन पहले 14 साल का बकाया बिल वसूल करने के लिए उनके आवास की बिजली काट दी गई।
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बिजली काटे जाने की जानकारी जब स्मारक की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे वीडीए को दी गई तो अधिकारियों ने इससे पल्ला झाड़ते हुए पहले तो डीएम के पास जाने को कहा, फिर थोड़ी देर बाद कर्मचारियों को भेज कर यह भी संदेशा दे दिया कि बिजली का खर्च गांव उठाता है। अधिकारियों ने कहा कि बिजली तो जोड़ दी जाएगी लेकिन इस बिल का भुगतान पूरे गांव को मिलकर करना होगा।
प्रेमचंद की जयंती में अब महज एक ही दिन बचा है। ऐसे में उनके पैतृक गांव की जर्जर सड़कों को बनवाने की कवायद तो शुरू कर दी गई थी, लेकिन बारिश की वजह से जमा हुई कीचड़ और दलदल की वजह से मुश्किलें बढ़ती चली गईं। ऐसे में कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए रास्ता बन पाना भी काफी मुश्किल हो गया।
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हर साल 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद की जयंती के मौके पर उनके गांव में एक मेले का आयोजन किया जाता है। इस बात को जानते हुए भी सीवर लाइनों की बेतरतीब और असामयिक खुदाई की गई। हालात ये हो गए कि बारिश की वजह से पूरा गांव टापू में तब्दील हो गया था।
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मुंशी प्रेम चंद की जयंती 31 जुलाई को मनाई जाती है, लेकिन लमही महोत्सव की शुरुआत 30 जुलाई से ही शुरू हो जाती है। संस्कृति विभाग की ओर से तीन दिवसीय लमही महोत्सव का खाका खींचा गया है। 30 जुलाई को सुबह 10.30 बजे से प्रेमचंद साहित्य का सामाजिक सरोकार विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी।
इसमें चित्रकला और सवाल जवाब जैसी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। 31 जुलाई की सुबह 9.30 बजे उद्घाटन समारोह के दौरान लोक गायन, अभिनंदन, चित्र प्रदर्शनी और अनेक प्रकार के नाटकों का भी आयोजन किया जाएगा।
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