हाल ही में केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने दावा किया था कि मोदी सरकार के चार साल के दौरान देश में एक भी बड़ा दंगा नहीं हुआ है। नकवी ने एक हफ्ते पहले दिये बयान में यह भी दावा किया था कि मोदी सरकार ने चार सालों में बिना भेदभाव किए सबका विकास किया है। लेकिन नकवी के ये दावे खुद उन्हीं की सरकार के एक दूसरे मंत्रालय की रोपोर्ट के आगे झूठे साबित होते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के दावों की हवा निकाल दी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार के पिछले चार साल के दौरान देश में तीन बड़े दंगे हुए हैं। इनमें 2017 में पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बदुरिया-बशीरहाट में हुआ दंगा, 2016 में पश्चिम बंगाल के हाजीनगर में हुआ दंगा और 2014 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ दंगा शामिल है। इसके अलावा एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से 2016 के बीच देश में कुल 2885 दंगे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में 1227, साल 2015 में 789 और 2016 में 869 दंगे हुए हैं।
यही नहीं, खुद गृह मंत्रालय ने लोकसभा में 7 फरवरी 2017 और 6 फरवरी, 2018 को बताया था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में साल 2017 तक कुल 2920 दंगे हुए, जिनमें 389 लोगों की मौत हो गई और 8890 लोग घायल हुए। इन चार साल के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा, 645 हिंसा की वारदातें दर्ज की गईं। वहीं इस दौरान कर्नाटक में 379 और महाराष्ट्र में हिंसा के 316 मामले दर्ज हुए। उत्तर प्रदेश में 2014 से 2017 के बीच हुए सांप्रदायिक दंगों में कुल 121 लोगों की मौत हुई, जबकि राजस्थान में 36 और कर्नाटक में 35 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। बता दें कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 25 जुलाई 2014 को दंगे भड़के थे, जिनमें तीन लोगों की जान चली गई थी और कई लोग जख्मी हुए थे। 2017 में फिर से एक बार सहारनपुर में दंगे भड़क गए। इसमें भी दो लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 25 मई 2015 को हरियाणा के बल्लभगढ़ में सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई थी।
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गौरतलब है कि एनसीआरबी के तय मानकों के अनुसार बड़ी सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति तब होती है, जब किसी घटना में 5 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है या 10 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। जबकि किसी हिंसा में एक व्यक्ति की त या 10 लोगों के जख्मी होने पर उसे महत्वपूर्ण दंगा माना जाता है।
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